हमसे प्यार को अपने, अब वो छुपाने लगा है, अपनी नज़रों को हमसे, अब वो चुराने लगा है । डरता...
साहित्य
आज फिर से प्रेम की उन गलियों में, जाने को जी चाहता है तेरे पास आकर तुझे, गले लगाने को...
जयपुर, दिल्ली, बेंगलुरु I भारत का प्रखर, साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन,सम्पर्क क्रान्ति परिवार द्वारा बेंगलुरु की जानी-मानी वरिष्ठ...
हमें आज कैसी लगन जो लगाई दिल में उठी है ये कैसी ख़ुमारी जाने किस घड़ी तुम आओगे हमदम मरी...
बेंगलुरू I राष्ट्रीय चेतना परिवार के तत्वाधान रविवार को प्रथम वर्षगाँठ मनाई गई| इस अवसर दो सत्रों में कार्यक्रम...
कुछ कहें गर हम तुमसे, तुम बुरा मान जाते हो । भला ये भी कोई बात हुई, जो इतना हमें...
बेंगलुरु I जिया साहित्य मंच के स्थापना दिवस के उपलक्ष में 1 मई से 30 मई तक उत्सव...
लखनऊ I हिंदुस्तानी अकादमी, उ प्र प्रयागराज, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0, लखनऊ एवं डेल्फिक एसोसिएशन ऑफ़ उ0प्र0 के संयुक्त...
लखनऊ I शिवभार गुर्जर लखनवी साहित्यिक सामाजिक संस्था द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण, स्थापना दिवस, सम्मान समारोह एवं कवि सम्मेलन...
ना होकर भी हर पल कोई रहता है तो रहता है। सुर्ख रंग बन तन में मेरे बहता है...