आध्यात्मिक विशेष..
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चैत्र नवरात्रि पर्व….
भारतीय नवसंवत्सर 2080 . नवरात्रि पर्व व नव वर्ष आप सब के लिए खूब – खूब स्वास्थ्य, चहुँ और समृद्धि व शांति प्रदायी आदि हो ये मेरी सबके प्रति मंगलकामना हैं । नूतनवर्षाभिनंदनम् चैत्र शुक्लपक्ष एकम/प्रतिपदा, तिथि -22-3-2023 ( वार – बुधवार , भारतीय नव संवत्सर,नवरात्रि प्रारंभ) | नव आगमन , शुभ आगमन | पुलकित है सबके मन, हर्षित है चमन। हिंदू नववर्ष , गुड़ी पाड़वा, उगादी एवम नवरात्री आपके जीवन में आनन्द, उत्सव, समृद्धि तथा आरोग्य की सौगात लाये । इस पावन चैत्र नवरात्रि पर्व पर व नववर्ष पर मेरे मन के भाव –
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
नवरात्रि पर्व की महिमा भारी ।
भुवाल माता की महिमा भारी ।
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
पावन निर्मलता भीतर में , तोले मन को मन से ।
ज्योति अदभुत प्रगटे निखरे , पर्व में किरणें तन से ।
रोम रोम में चमके आभा , दिव्य शक्ति संचारी ।।
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
नवरात्रि पर्व की महिमा सबने गाई ।
बड़े – छोटे सभी ने पर्व से विभुता पाई ।
कितने – कितने मानव ने पर्व से पाई खुशहाली ।।
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
वर्षों – वर्षों से नवरात्रि पर्व की गंगा बहती ।
माता की अदभुत , अजब गजब से महिमा बढ़ती रहती ।
माता की खुबसुरत छटा से कष्ट कटे करारे ।
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
नवरात्रि पर्व की महिमा भारी ।
भुवाल माता की महिमा भारी ।
चैत्र के महिने में , फूली नवरात्रि पर्व की फुलवारी । ॥अन्तरा ॥
क्यों है दृष्टि भिन्न ….
जीवन घड़ियाँ नेक बनाऊँ ।नए सृजन के दीप जलाऊँ।बढ़े सदा पौरुष का स्पंदन ।रुके नही प्राणों की धड़कन।करूँ वृत्तियों का में शोधनमिले यही अनुपम उद्दबोधन।जीवन का अन्वेषण कर बने लघु से महान । कर ले ख़ुद हम अपनी पहचान।अंतरयात्रा है निज दर्शन, टूटे मुर्च्छा का पागलपन।अहंकार में अंधकार अंधकार को दुर्रनिवार । शिव पथ का तब खुले द्वार। मे कौन–?
सम्यक़्तव से सीधा सम्बन्ध , ऋज़ुता दृष्टि है पहचान ।अज्ञान गद्दे में ना गिरूँ नितांत अपेक्षित ज्ञान है पहचान। मे हुँ मेरी सम्यक् दृष्टि। हर इंसान जानता है कि कौन सा काम ग़लत है और कौन सा सही।जानते हुये भी अनजान बनता है और लोभ वश ग़लत काम कर बैठता है।कई ग़लत काम छुप कर होते हैं,तो कई ग़लत काम दूसरों के सामने।जब ग़लत काम करता है तो यही सोचता है कि मुझे कोई नहीं देख रहा,और किसी के सामने करता है तो वो अपनी दादागिरी समझता है।
जब उस ग़लत काम के परिणाम का ख़्याल आता है तो उसके दिमाग़ में यही ख़्याल आता है कि जब जो होगा तब देखा जायेगा।पर वो यह नहीं सोचता कि कोई देखे या ना देखे,पर उस इंसान की स्वयं की आत्मा हर समय उसके हर कार्य पर नज़र रखती है।यह सास्वत सत्य है कि जीवन में चाहे कितने भी अच्छे कार्य कर लीजिये वो आपको याद आये या ना आये पर अगर आपने कोई भी ग़लत काम किया है तो वो कार्य आप ज़िंदगी भर नहीं भूल पायेंगे।
समय-समय पर वो किये गये ग़लत काम आपको याद आयेंगे और आपकी स्वयं की आत्मा कचोटेगी कि मैंने जीवन में अमुक-अमुक ग़लत काम किया था। ग़लत कार्य के परिणाम से स्वयं भगवान भी नहीं बच पाते हैं।उनको भी ग़लत काम का परिणाम भोगना पड़ता है। इसलिये आज चिंतन प्रवाह ने कितनी सटीक बात कही है कि हर कार्य करने से पहले अपने मन में यह तोलो कि जो काम मैं करने जा रहा हूँ वो ग़लत है या सही।
जब इतनासा सोचना शुरू कर देंगे तो हमारे अंत करण की ज्योति स्वयं जग जायेगी और हम ग़लत कार्य करने से काफ़ी हद तक बच जाएँगे।क्योकि आँखें तो देखती हैं बाहर का दृश्य पर, नजरिया हैं अंतर दृष्टि आसन्न।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ , राजस्थान)