द्वापरयुगीन ,महाभारत कालीन सिद्ध पीठ मां अहोरवा
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अमेठी I
ममता मयी मां की पावन स्थली जो माताजी के नाम से “अहोरवा भवानी” प्रसिद्ध है I माता जी का दिव्य अलौकिक स्वरूप जलते दीपक की तरह प्राचीन पाषाण रुपी प्रतिमा में आज भी विद्यमान है I स्थानीय लोगों के अनुसार मोक्ष दायिनी मां जीके 1 दिन में 3 स्वरूपों के दर्शन प्राप्त होते हैं I सुबह के समय बाल्यावस्था, दोपहर के समय युवावस्था और शाम के समय प्रौढ़ावस्था स्वरूप के दर्शन प्राप्त होते हैं ऐसा स्थानीय लोगों का विश्वास है I
उत्तर प्रदेश के वर्तमान जिला अमेठी के तहसील तिलोई में ब्लॉक सिंहपुर के अंतर्गत ग्राम सभा पन्हौना से आदि शक्ति मां अहोरवा का पवित्र स्थल( अहोरवा भवानी) एक किलोमीटर पश्चिम में स्थित है! नवरात्रि के पावन पर्व पर क्षेत्रवासी भगवती के नव स्वरूप की पूजा करते है I
जन श्रुति के अनुसार वर्तमान में जिस स्थान पर पन्हौना ग्राम स्थित है! द्वापर काल में उस स्थान पर राजा सगर की राजधानी थी! वहां पर राजा सगर का राज्य था! महाभारत के समय अज्ञातवास की यातना में द्रवित पांचो पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन ,नकुल, सहदेव )व द्रोपदी जंगलों में भटकते हुए यहां पधारे थे !और रात में यहीं विश्राम भी किया था! सुबह सभी दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर , अर्जुन शिकार के लिए निकले !चलते – चलते घने जंगलों में पहुंच गए, लेकिन कोई शिकार नहीं मिला! अर्जुन थोड़ा और आगे बढ़े, उसी क्षण घोर गर्जना के साथ आकाशवाणी हुई:- हे धनुर्धर, तुम कौन हो?
अर्जुन अवाक् रह गए ,इधर-उधर देखने पर कोई दिखाई नहीं दिया, अर्जुन ने निडरता से अपने गांडीव धनुष की प्रत्यंचा खींचकर छोड़ी प्रत्यंचा की टंकार के साथ ही वहां एक देवी प्रकट हुई अर्जुन ने हाथ जोड़कर पूछा हे देवी आप कौन हैं तब देवी ने कहा तुम्हारे धनुष की टंकार से जो भयंकर शब्द निकलता है (अ..हो..र..र..व) इसी शब्द से मिलकर मेरा नाम अहोरवा होगा !अर्जुन ने मां को प्रणाम किया उसी क्षण ममता मयी मा अंतर्ध्यान हो गयी! उसी स्थान पर अर्जुन ने माताजी की स्थापना कर पूजन अर्चन किया उस समय से लेकर माताजी आज भी उसी स्थान पर विराजमान है I
ग्रामीण अंचल और स्थानीय लोगों में माताजी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास है I शादी विवाह से लेकर मुंडन संस्कार, नामकरण व नया वाहन खरीदने पर मां का आशीर्वाद लेने जरूर आते हैं I हर दिन दूर-दूर से भक्तगण माताजी के दर्शन के लिए आते हैं खासकर सोमवार को मंदिर के प्रांगण में मेला लगता है, मां सभी भक्तों एवं श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करती हैं I
रिपोर्ट- कृपाशंकर विक्रम