बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था और अवैज्ञानिक मान्यताओं को कोई स्थान नहीं -बृजेश जायसवाल
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अम्बेडकर पार्क डारीडीह अमेठी में रविवार को बाबा साहब डा अम्बेडकर का 67वां महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया।कार्यक्रम के दौरान निर्वाण प्राप्त सतई राम बौद्ध बडे़ बाबू की सामाजिक सेवाओं पर भी संवाद हुआ।बौद्धाचार्य हौसिला प्रसाद ने बाबा साहब डा अम्बेडकर के जीवन दर्शन और बौद्ध धम्म के आर्य अष्टांगिक मार्ग पर विस्तार से संवाद किया।उन्होंने कहा कि बाबा साहब डा अम्बेडकर ने बाईस प्रतिज्ञाओं के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया था,इसके पीछे तमाम सामाजिक और वैज्ञानिक कारण थे।ऊंचनीच, जातिभेद और अन्धविश्वास को समूल नष्ट करने के लिए ही बाबा साहब डा अम्बेडकर ने अपने अनुयायियों को बुद्ध की शरण मे जाने के संदेश दिए थे।
मुख्य अतिथि बृजेश जायसवाल ने कहा कि स्वयं को बुद्धिस्ट कहने वाले बहुजन समाज के लोग अभी भी जातिवाद की संकीर्णता में फंसे हुए हैं, अम्बेडकर मिशन की यही सबसे बड़ी कमजोरी है।बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था और अवैज्ञानिक मान्यताओं को कोई स्थान नहीं।जब तक जातिवाद और ऊंचनीच कायम रहेगा बौद्ध मय भारत का निर्माण नही हो सकता। दयाराम बौद्ध ने कहा कि निर्वाण प्राप्त सत ई राम की सामाजिक सेवाओं को कभी भुलाया नही जा सकता।बाबा साहब के विचारों को अमेठी, सुलतानपुर और रायबरेली जिले में फैलाने में उन्होंने जीवन पर्यंत योगदान किया है। सभा को शीतला प्रसाद दाढी, हरिनाथ बौद्ध, फूलचंद बौद्ध,आर एस चक्रवर्ती,, सुरेन्द्र बौद्ध, विजय कुमार, रमेश मौर्य आदि ने सम्बोधित किया।