शौर्य गाथा (saga of bravery) : वीरता, त्याग और मातृभूमि के प्रति समर्पण की अमर कहानी
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रिपोर्ट – नीरज कुमार सिंह
अमेठी, उत्तर प्रदेश।
जिला मुख्यालय पर स्थित मंगलम आवास, गौरीगंज में आयोजित श्रीरामकथा के दशम दिवस पर परम पूज्य आचार्य शांतनु जी महाराज के श्रीमुख से भारत माता के वीर बलिदानियों की अद्भुत शौर्य गाथा का भावपूर्ण वर्णन हुआ। महाराज जी ने अपने अमृतमय वचनों में कहा कि “भारत भूमि ऐसे अनेकों वीर पुत्रों से पावन है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा की।
अनेक ऐसे वीर हैं जिनकी गाथाएँ इतिहास के पन्नों में नहीं मिलतीं, पर उनका बलिदान ही हमारी आज़ादी की नींव है।”भारत की धरती सदैव वीरों की कर्मभूमि रही है। यहाँ की माटी में जन्म लेने वाला हर पुत्र और पुत्री अपने देश, समाज और धर्म की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर करने को तत्पर रहा है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक भारत की शौर्य परंपरा कभी क्षीण नहीं हुई, बल्कि हर दौर में नए-नए अध्याय लिखे गए।
महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, रानी लक्ष्मीबाई, झांसी की वीरांगना जैसे योद्धाओं ने विदेशी आक्रांताओं के सामने झुकने के बजाय वीरता की अमिट मिसाल पेश की। उनके पराक्रम ने न केवल देश की रक्षा की बल्कि आने वाली पीढ़ियों में राष्ट्रभक्ति की ज्योति भी प्रज्वलित की।
स्वतंत्रता संग्राम के दौर में भी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी, सरदार पटेल जैसे वीरों ने देश को आज़ादी की राह दिखाई। इन क्रांतिकारियों के बलिदान ने भारत को स्वाधीनता का अमूल्य उपहार दिया।
आधुनिक भारत में भी शौर्य की यह परंपरा जारी है। कारगिल युद्ध में वीर सपूत कैप्टन विक्रम बत्रा, ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव, संदीप उन्नीकृष्णन जैसे जवानों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अमरत्व प्राप्त किया। सीमा सुरक्षा बल, सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा में तत्पर रहते हैं।
पुलिस बल और अर्द्धसैनिक जवान भी आतंरिक सुरक्षा के प्रहरी बनकर आतंकवाद, अपराध और आपदाओं के समय जान की बाजी लगाते हैं। चाहे नक्सल प्रभावित क्षेत्र हों या प्राकृतिक आपदाएँ—इन वीरों का समर्पण देश को गर्व से भर देता है।
भारत की यह शौर्य गाथा केवल इतिहास का अध्याय नहीं, बल्कि हर नागरिक के हृदय में बसी जीवंत भावना है। यह भावना हमें याद दिलाती है कि देशप्रेम, बलिदान और वीरता ही सच्चे भारतीय होने का परिचायक है।
महाराज जी के वचनों से पूरा वातावरण देशभक्ति, आस्था और भाव-विभोरता से गूंज उठा। श्रद्धालु जन “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के जयघोष के साथ वीर सपूतों को नमन कर रहे थे।
इनकी रही उपस्थिति………
इस अवसर पर कार्यक्रम में मंत्री राजा मयंकेश्वर शरण सिंह, तेजप्रताप सिंह (विधायक राकेश प्रताप सिंह के पिता) कृष्ण कुमार सिंह ‘मुन्ना’, ब्लॉक प्रमुख तिलोई,काशी प्रसाद तिवारी, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा,एमएलसी शैलेन्द्र प्रताप सिंह,प्रवीण कुमार अग्रवाल, अध्यक्ष नगर पालिका सुल्तानपुर, तथा राजेश कुमार अग्रहरि, जिला पंचायत अध्यक्ष, दिनेश सिंह, गिरिजा शंकर मामा

पूर्वांचल बोर्ड सदस्य विजय विक्रम सिंह, तिलोई प्रमुख कृष्ण कुमार सिंह मुन्ना, मुसफिरखाना प्रमुख दिनेश सिंह पप्पू, राजेश सिंह दत्तनपुर प्रदेश अध्यक्ष उत्तराधिकारी स्वतंत्रता सेनानी परिवार, उमेश सिंह, ललित सिंह सरायभागमनी, अभय सिंह, डीके, राकेश मटियारी, बब्बन मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
बटुक भोजन एवं ब्रह्म भोज का आयोजन

कार्यक्रम के उपरांत श्रद्धा एवं भक्ति से ओतप्रोत वातावरण में बटुक भोजन एवं ब्रह्म भोज का आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें भक्तों ने बड़े भाव से सहभागिता की। विधायक राकेश सिंह के भाई मुकेश सिंह व महाराज जी द्वारा बटुको को भोज से पूर्व दान भी दिया गया।यह दिवस राष्ट्रभक्ति, भक्ति और सेवा का एक अद्भुत संगम बनकर सदैव स्मरणीय रहेगा।

