सात दिवसीय आयोजित रामकथा में भक्तों की उमड़ी भारी भीड़
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रायबरेली। कस्बा के समाजसेवी सुनील साहू द्वारा बाबा माधव दास मंदिर पर सात दिवसीय आयोजित रामकथा में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। कथावाचक आचार्य सूर्य प्रकाश मिश्र द्वारा बड़े मृदुल सहज भाषा से भगवान राम के जीवन चरित्र पर लोगों को बताकर राम कथा का रसपान भक्तों को करा रहे हैं। राम कथा के चौथे दिन कथावाचक श्री मिश्रा ने भक्ति का मार्ग बताते हुए सेवरी का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान प्रभु राम के प्रति सेवरी का अनूठा प्रेम व भक्ति रही अपने भक्त से खुश होकर भगवान श्री राम ने शबरी के जूठे बेर भी खा लिए यदि मानव भगवान के लिए आस्था और भक्ति रखता है तो भगवान भी उस व्यक्ति को प्रगति व भक्ति का मार्ग बताकर मोक्ष प्राप्त करने का रास्ता बताते हैं । भगवान के भक्तों को किसी न किसी रूप में भगवान के दर्शन अवश्य होते हैं।श्री मिश्र जी भक्ति के बारे में बताया की सती अनुसुइया जी महरिशी अत्रि जी की पत्नी थी जिन्होंने की तपस्या करके अनेक सिद्धियांअर्जित कर ली थी एक बार त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा जी विष्णु जी और महेश जी ने सती अनुसूया जी की परीक्षा लेने की कोशिश की और ऋषियों के रूप में सती अनुसुइया जी के सामने प्रकट हुए। सती अनसूइया ने ऋषियों के अवभागत की सारी तैयारी की और अपनी तरफ से ससम्मान भोजन के लिए आमंत्रित किया। परंतु ऋषियों ने कहा कि वह भोजन तभी करेंगे जब वह उन्हें अपनी जांघ पर बैठा कर भोजन कराएंगी इससे सती अनसूया नाराज हो गई और उनके तेज के कारण तीनों देवताओं को पहचान लिया और उन्होंने ऋषियों को अपने तपोबल से 6 महीने के बालक के रूप में परिवर्तित कर झूले पर लिटा दिया। कुछ समय पश्चात बालकों को तेजी से भूख लग गई और वह भूख के मारे छटपटाने लगे। तब नारद ने तीनों देवियों को इसकी सूचना दी और तीनों देवियों ने सती अनुसुइया से अपने अपने देवों को फिर से उसी रूप में वापस लाने की विनती की। जिनके अनुरोध पर सती अनुसुइया जी ने तीनों बालको अर्थात ब्रह्मा जी विष्णु जी और महेश जी को बाल्यावस्था से मुक्त कर दिया।
सती अनुसूया जी ने ही वनवास काल के दौरान माता सीता जी को पति धर्म का ज्ञान कराया था। जिस ज्ञान की बदौलत माता सीता रावण की कुदृष्टि से हमेशा बची रहती थी।
माता सती अनुसुइया जी ने ही अपनी कठोर तपस्या से चित्रकूट में मंदाकिनी नदी को अवतरित किया। इस मौके पर मृदुल मिश्रा, रत्नेश त्रिवेदी, आदित्य पांडे, आकाश मिश्रा, जय कृष्ण मिश्रा ,अजय मिश्रा, प्रत्यूष प्रकाश मिश्रा ,पीयूष प्रकाश मिश्रा, अमित शास्त्री, समेत अनेक कथावाचक मौजूद रहे।