बौद्ध अनुयायी दीपावली को दीपदान उत्सव के रूप मनाते हैं !
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बौद्ध धर्म अनुयायियों ने दीपावली पर्व को दीपदान उत्सव के रूप में मनाते हैं I इसके बारे बौद्ध धर्म अनुयायियों ने मान्यताओं को आधार माना है I दीपावली पर्व को बौद्ध धर्म के अनुयायियों ने दीपदान उत्सव के रुप में मनाया। शाम को त्रिसरण, पंचशील और तथागत बुद्ध की पूजा, वंदना के बाद दीप प्रज्वलित किए गये। सिरमौर बुद्ध विहार सेवा संस्थान की अगुवाई में अमेठी से बौद्ध तीर्थ स्थलों के भ्रमण को गये यात्री दल ने सोमवार को बोधगया में बौद्ध विहारों और बौद्ध स्तूपों का भ्रमण किया और पंचशील ध्वज को आगे बढाते हुए बुद्ध की शरण में जाने का संदेश दिया।
बौद्ध धर्म अनुयाइयों के मंतव्य
अम्बेडकर वादी चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता संजीव भारती ने बताया कि दीपदान उत्सव का बौद्ध धर्म मे विशेष महत्व है।तथागत बुद्ध ने आषाढ पूर्णिमा के दिन अपना प्रथम धम्म चक्र प्रवर्तन किया था।इसके ठीक तीन माह बाद अमावस्या को वे कपिल वस्तु पहुंच गए थे।सम्राट अशोक ने तथागत बुद्ध की स्मृति मे 84000स्तूप बनवाए थे।इन स्तूपों का निर्माण पूरा होने पर चौरासी हज़ार दीप भी प्रज्ज्वलित किए थे। इस स्मृति मे भी दीपदान उत्सव मनाया जाता है,यद्यपि सारनाथ के बौद्ध भिक्षु चन्द्रमा सहित तमाम बौद्ध विद्वान इस उत्सव को बौद्धों के पर्व के रुप मे मान्यता नहीं प्रदान करते हैं।
यात्री दल ने बौद्ध भिक्षुओं को दी ऐतिहासिक जानकारी
सोमवार को यात्री दल ने बोधगया के उपासकों और भिक्षुओं को सिरमौर बुद्ध विहार सोईया के इतिहास और विकास यात्रा की जानकारी दी।बौद्ध भिक्षु भंते प्रज्ञा मित्र, भन्ते त्रिरत्न, रामफल फौजी, प्रमोद कुमार, बृजेश कुमार, इन्द्र पाल गौतम,, ललित कुमार, रामशंकर, कुल रोशन एडवोकेट, राजेश कुमार, प्रहलाद, सरोज गौतम, सुशीला राव,सुमन, जगन्नाथ, रामाश्रय मौर्य, राम दुलारे आदि मौजूद रहें।