श्रीधाम वृन्दावन की दिव्य विभूति थे श्रीपाद बाबा महाराज
1 min readवृन्दावन,मथुरा।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे त्रिदिवसीय ब्रज अकादमी के 44 वें स्थापना दिवस व श्रीहनुमान जयंती महोत्सव का समापन प्रख्यात संत श्रीपाद महाराज के चित्रपट के पूजन-अर्चन एवं संत-विद्वत संगोष्ठी के साथ हुआ।संगोष्ठी में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज एवं स्वामी शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि पूज्य श्रीपाद बाबा महाराज श्रीधाम वृन्दावन की बहुमूल्य विभूति थे।उन्होंने श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप को जीवंत रखने के लिए जो अनेकानेक सद्कार्य किए, उन्हें शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता है।
श्रीराधा उपासना कुंज के महंत संतदास महाराज व ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि हमारे पूज्य सदगुरुदेव श्रीपाद बाबा महाराज संत समाज के गौरव थे।उन्होंने ब्रज मंडल,ब्रज संस्कृति, गौ – संत आदि की सेवा, रक्षा, पोषण के लिए तन-मन-धन से जो अपना अविस्मरणीय योगदान दिया है,उसके लिए संत समाज एवं ब्रजवासी सदैव बाबा महाराज पर गर्व की अनुभूति करते रहेंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोपाल चतुर्वेदी एवं प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीपाद बाबा महाराज अत्यंत चमत्कारी व समन्वयवादी संत थे।इसीलिए उनके दर्शनों के लिए विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का तांता लगा रहता है। यूं तो संसार में हर रोज अनेकों प्राणी जन्म लेते हैं और अनेकों प्राणी यहां से मृत्यु को प्राप्त होते हैं।किन्तु याद केवल पूज्य श्रीपाद बाबा महाराज जैसी पुण्यात्माओं को ही किया जाता है जिन्होंने देश व समाज हित के लिए अनेकानेक कार्य किए होते हैं।
इस अवसर पर बेरियावन महाराज, हरिबोल बाबा महाराज,महामंडलेश्वर भक्तानंद हरि साक्षी महाराज, ब्रजानंद सरस्वती, स्वामी महेशानंद सरस्वती,पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, गंगानंद कोतवाल, सेवानंद ब्रह्मचारी, एस.एन. मेडिकल कॉलेज (आगरा) के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. बी.बी. माहेश्वरी, प्रमुख समाजसेवी रवि शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
इससे पूर्व भक्तों व श्रद्धालुओं के द्वारा संगीतमय सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया गया।तत्पश्चात संतों-महंतों व विद्वानों का सम्मान किया गया।साथ ही भंडारा भी हुआ।इसके अलावा निर्धनों व निराश्रितों को वस्त्र एवं अन्य आवश्यक सामग्री का वितरण किया गया।रात्रि को प्रख्यात रासाचार्य स्वामी भुवनेश्वर वशिष्ठ की रामंडली के द्वारा रासलीला की अत्यंत मनोहारी प्रस्तुति दी I