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बल-बुद्धि-विवेक के निधान हैं हनुमानजी

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वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में चल रहे ब्रज अकादमी के त्रिदिवसीय स्थापना दिवस व हनुमान जयंती महोत्सव में दूसरे दिन संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए बैरागी बाबा आश्रम अध्यक्ष हरिबोल बाबा महाराज ने कहा कि संत प्रवर श्रीपाद बाबा महाराज श्रीधाम वृन्दावन की बहुमूल्य निधि थे।ब्रज संस्कृति व श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप को पुनः उजागर करने में पूज्य बाबा महाराज का जो अतुलनीय योगदान रहा है,उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि श्रीहनुमानजी महाराज भक्त शिरोमणि, वीर शिरोमणि व ज्ञान के सिंधु है।सनातन धर्म में केवल वे ही ऐसे देव हैं जिनका जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाया जाता है।उनका स्मरण ही जीव के समस्त कष्टों का नाश कर देता है।
श्रीराधा उपासना कुंज के महंत संत दास महाराज व ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ राकेश हरिप्रिया ने कहा कि पूज्य संत श्रीपाद बाबा महाराज ने अपनी साधना के बल पर अनेकों व्यक्तियों का कल्याण किया।वे अनेकानेक सद्गुणों की खान थे।यदि हम उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
मथुरा – वृन्दावन नगर निगम के डिप्टी मेयर पंडित राधाकृष्ण पाठक व पूर्व विधायक प्रदीप माथुर ने कहा कि श्रीहनुमानजी महाराज कलयुग के सच्चे देव हैं।मां जानकी के आशीर्वाद से वे सप्त चिरंजीवियों में सबसे प्रमुख हैं।वे बल,बुद्धि और विवेक के निधान हैं।संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं, जिसे श्रीहनुमानजी महाराज नही कर सकते हैं।
संत-विद्वत सम्मेलन में मुख्य अतिथि अखंडानंद आश्रम के अध्यक्ष स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज, चतु: सम्प्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज,स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज,धर्मगुरु अनुराग कृष्ण पाठक,प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा,रासाचार्य स्वामी फतेह कृष्ण महाराज ,संत सेवानंद ब्रह्मचारी ,संगीताचार्य देवकीनंदन शर्मा, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, भागवताचार्य डॉ. रामदत्त मिश्रा,पुंडरीक महाराज,युवा साहित्यकार डॉ राधाकांत शर्मा,प्रमुख समाजसेवी रवि शर्मा रमाकांत शास्त्री,पंडित हरिप्रसाद द्विवेदी, नंदकिशोर शर्मा, डॉ. बी.बी. माहेश्वरी,अश्विनी माथुर, श्रीमती पिंकी माथुर,राजेश कुमार ,शशिबाला, लक्ष्मण माहेश्वरी, अरुण माहेश्वरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया। इसके उपरांत सायं काल ब्रज के प्रख्यात रासा चार्य पंडित भुवनेश्वर वशिष्ठ के निर्देशन में रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।

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