ऋतु परिवर्तन से जुड़ा मनोहारी पर्व है शरद पूर्णिमा
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वृन्दावन,मथुरा। परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में चल रहे त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव के तीसरे दिन महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने देश के विभिन्न अंचलों से आए भक्तों व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा ऋतु परिवर्तन से जुड़ा एक मनोहारी व पुरातन लोक पर्व है।यह धार्मिक पर्व होने के साथ-साथ स्वास्थ्य संवर्धन का भी पर्व है।क्योंकि इस दिन चंद्रमा से जो अमृततुल्य किरणें ज्योत्स्ना के माध्यम से पृथ्वी पर गिरती हैं,वे औषधि तुल्य हुआ करती हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता में भी यह स्पष्ट रूप से कहा है कि ‘मैं ही रस स्वरूप अमृतमय चंद्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों व वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।’ भगवान श्रीकृष्ण का यह कथन शरद पूर्णिमा की उपादेयता को सिद्ध करता है विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को
“औषधीश” अर्थात औषधियों का स्वामी कहा गया है।
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा के ही दिन भक्ति की पराकाष्ठा मानी जाने वाली श्रीकृष्ण समर्पित मीरा बाई का जन्म हुआ था।आज ही के दिन “गोपी गीत” का उद्भव हुआ था।इसके अलावा देवी पार्वती व आदिदेव महादेव के पुत्र कार्तिकेय का जन्म भी शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था।शरद पूर्णिमा श्रीराम कथा के आदि सर्जक महर्षि वाल्मीकि का अवतरण दिवस भी है।इस दिन लक्ष्मी पूजन व चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है।
महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज समूचा विश्व विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है।क्योंकि आज तनाव दूर्भावनाएं व पारस्परिक वैमनस्य अत्यधिक बढ़ गए हैं।अत: इन सभी तापों को दूर करने के लिए हम सभी के जीवन में भक्ति रूपी पावन व पुनीत चंद्रमा के उदित होने की परम आवश्यकता है।ताकि हम सभी के जीवन से सदैव अमृत बरसता रहे।साथ ही हम सबके अशांत मन को शान्ति,समाज को सदभावना का प्रकाश और राष्ट्र को आतंक व अराजकता से मुक्ति मिल सके।
इस अवसर पर श्रीकृष्ण कृपा धाम के मीडिया प्रभारी डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने “जियो गीता” संस्था के द्वारा कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में स्थापित “गीता ज्ञान संस्थानम्” व “श्रीकृष्ण कृपा धाम” के विभिन्न सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी।साथ ही स्वामी ज्ञानानंद महाराज द्वारा समूचे विश्व में युद्ध स्तर पर चलाए जा रहे श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसार-प्रसार से भी सभी को अवगत कराया।
महोत्सव में भागवताचार्य मारुतिनंदन वागीश, भागवताचार्य मृदुलकांत शास्त्री, उत्तर प्रदेश शासन के पूर्व गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, जियो गीता के महासचिव प्रदीप मित्तल,ब्रह्मचारी शक्ति,वासुदेव शरण, डॉ. राधाकांत शर्मा, डॉ. अनूप शर्मा,देवेंद्र शर्मा,संजय शर्मा,पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ, डॉ. अशोक सम्राट,संगीतज्ञ स्वामी देवकीनंदन शर्मा,रमेश चंद्राचार्य महाराज,प्रख्यात भजन गायक रतन रसिक आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।