सोशल मीडिया की सुर्ख़ियों में है अंबेडकरवादियों का धर्म परिवर्तन
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अमेठी । सामाजिक चेतना के महानायक कांशी राम के निर्वाण दिवस पर प्रदेश की राजधानी में आयोजित बौद्ध सम्मेलन और दिल्ली में आयोजित सम्मेलन सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है ।14 अक्टूबर को धम्मदीक्षा दिवस मनाने की जोरदार तैयारी चल रही है। 14 अक्टूबर 1956 को संविधान शिल्पी डॉक्टर अंबेडकर ने नागपुर में पांच लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म ग्रहण किया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस तिथि को दीक्षा पर्व के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष इस पर्व के पहले दिल्ली और लखनऊ में हुए बौद्ध धर्म के दो धार्मिक कार्यक्रम सोशल मीडिया में सुर्खियों में है । लखनऊ में रविवार को हुए आयोजन में अमेठी ,सुल्तानपुर और रायबरेली जनपद के हजारों लोग शामिल हुए थे।
बौद्धाचार्य दयाराम ने कहा कि मान्यवर कांशी राम का सपना बौद्ध मय भारत का निर्माण था। उन्होंने बुद्धिस्ट रिसर्च सेंटर नामक एक संगठन की स्थापना भी की थी । राजनीतिक कारणों से इसको एक्टिव नहीं कर पाए। इस बार उनके निर्वाण दिवस पर लखनऊ से अच्छी शुरुआत हुई है।
सिरमौर बुध्द विहार संस्थान के सचिव रामफल फौजी ने दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल से इस्तीफा लेने पर आप के राष्ट्रीय अध्यक्ष केजरीवाल की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि बात -बात में भारतीय संविधान की दुहाई देने वाले केजरीवाल आर एस एस के सामने दबाव में आ गए हैं। भारत का संविधान देश के हर नागरिक को अपनी स्वेच्छा से किसी भी धर्म को अपनाने की इजाजत देता है।आर डी गौतम और रमेश गौतम ने कहा कि राजेंद्र पाल को स्टैंड करना चाहिए था,इस्तीफा नहीं देना था,फिलहाल इस इस्तीफे से अरविंद केजरीवाल की दोरंगी राजनीति बहुजन समाज के सामने बेनकाब हो गयी हैं।
अंबेडकर कल्याण समिति के अध्यक्ष ओम प्रकाश गौतम, महामंत्री जय भीम बौद्ध, अंबेडकर सेवा समिति के महामंत्री राजेश अकेला आदि ने 14 अक्टूबर को दीक्षा दिवस मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। दोनों धार्मिक सम्मेलनों की सफलता पर हर्ष जताते हुए बौद्धों का स्वतंत्र कानून बनाने की मांग की है।