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नवरात्रि में कन्या भोज कराकर आशीर्वाद ले रहे भक्त

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नवरात्रि व्रत के उपरांत कन्या भोज आवश्यक होता है बिना कन्या भोज के नवरात्रि व्रत अधूरा माना जाता है। आचार्य चंद्रमणि पाण्डेय ने बताया कि कन्या भोज के लिए हर आयु की कन्या का अलग महत्व होता है। दो साल की कन्या को कौमारी कहा जाता है. इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है। त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है। 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है।इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है। 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है।इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है।6 साल की कन्या कालिका होती है।इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है।7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है।इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है। 8 साल की कन्या शांभवी होती हैं। इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है। 9 साल की कन्या को दुर्गा कहा गया है। इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं।10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है।
अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं की पूजा और भोज करवाने से देवी अन्नपूर्णा के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। नवरात्र में देवी मां दुर्गा के सभी साधक कन्याओं को माता जगदंबा का दूसरा स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। शास्त्रों में नवरात्र के अवसर पर कन्या पूजन या कन्या भोज को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया गया है।
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशिष्ट महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन या कन्या खिलाने के बिना व्रत का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता है. इसलिए जो पूरे दिन नवरात्रि का व्रत रखते हैं, साथ ही जो प्रथम और अंतिम व्रत रखते हैं. उन सभी को कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन कराने और उनका पूजन करने के बाद दक्षिणा देकर सम्मान से विदा करना चाहिए. इससे मां दुर्गा अति प्रसन्न होती है और भक्तों को उनकी मनोकामना पूरा होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।कन्याओं को भोजन कराते समय साथ में एक बालक को जरूर बैठाएं. कन्या पूजन के साथ इनका भी पूजन जरूर करें. बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है।
कन्या पूजन में उन्हीं कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए जिनकी उम्र केवल 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष के बीच में हो।कन्या पूजन के लिए पूजा पर बैठाने के पूवे व्रती को स्वयं उनका पैर दूध और जल से धोना चाहिए।कन्या पूजन में उनको खीर, पूड़ी, हलवा, चना, नारियल, दही, जलेबी जैसी चीजों का भोग लगाना उत्तम माना जाता है।भोजन के बाद कन्याओं की विदाई करते समय यथाशक्ति दक्षिणा दें और उनका पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए।

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