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थामे रखिए अपनों का हाथ….

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पत्थर तब तक सलामत है जब तक वो पर्वत से जुड़ा है ।पत्ता तब तक सलामत है जब तक वो पेड़ से जुड़ा है । ठीक इसी तरह
इंसान तब तक सलामत है जब तक वो परिवार से जुड़ा है क्योंकि परिवार से अलग होकर आजादी तो मिल जाती है लेकिन संस्कार चले जाते हैं । जीवन में हर पल हम अनुशासित रहकर परिवार से जुड़े रहकर सफलता हासिल की जा सकती है या नहीं । पर मुसीबत के समय में परिवार या अपनों का सहयोग मनोबल बढ़ाता है और हर तरह की मुसीबत से लड़ने की हिम्मत मिलती है ।

जिनके सर पर अपने से बड़ों का साया होता है उनका साथ होता है । वह आज के जमाने में डिप्रेशन जैसी भयंकर बीमारियों से भी बच जाता है ।और हर मुसीबतों से लड़ने के लिए वापस तैयार हो जाता है ।आज की युवा पीढ़ी के लिए सीधा उदाहरण अभी हाल ही में किसी की मौत है जो सफलता के क्षणों में अपने परिवार से दूर होकर आगे बढ़ता रहा जहां उसे कोई सही राह दिखाने वाला नहीं था क्योंकि परिवार उसके पास नहीं था इसलिए वह कहां गलत हुआ कि संभलने का मौका ही नहीं मिला I

ठीक इसके विपरीत अभिनेता अभी भी अपने परिवार के साथ आगे बढ़ते अनेक मुसीबतों से जूझते हुए कई बार टूटे लेकिन उनके साथ उनका परिवार था इसलिए वह हर बार संभलते गए और निरंतर आगे बढ़ते गए। और आज तक उन्होंने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा। कभी-कभी जब बड़े इंटरफेयर करते हैं तो बुरा जरूर लगता है पर नाकामी मुसीबत के समय अपनों का सर पर हाथ हो तो वह कई संकट से बच के निकल जाते हैं।

चाहे जहां भी हो अपनों से नाता ना तोड़ो चाहे जितनी भी मुसीबत हो जहां दो बर्तन होंगे वहां खटपट होगी पर उस खटपट से रिश्ते टूटने नहीं चाहिए और अधिक मजबूत होने चाहिए जिससे जीवन मैं कभी भी अकेलापन और भय नहीं रहेगा । एक विश्वास हमेशा साथ रहेगा अपनों के साथ होने का अपनों से जुड़े होने का अहसास भी । तभी तो कहा हैं की थामे रखिए अपनों का हाथ ।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ राजस्थान)

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