वैश्विक परिदृश्य में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है- डॉ सुरेश चन्द्र शुक्ल
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अमेठी I नगर में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से स्वागत सम्मान समारोह का आयोजन अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ किया गया।
मुख्य अतिथि भारतीय- नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष तथा स्पाइल- दर्पण के संपादक सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि वैश्विक परिदृश्य में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। विदेशों में विभिन्न प्रदेशों के भारतीय जब आपस में मिलते हैं तो हिंदी में बात- चीत करना पसंद करते हैं। विदेशों में हिंदी-अवधी का बोलबाला है पर संगठित रूप से उतना प्रयास नही हो पा रहा है, जितना होना चाहिए। प्रवासी भारतीय साहित्यकारों की सरकारी संस्थानों में अनुपस्थित चिंतनीय है। गोस्वामी तुलसीदास जी के शब्दों में कहें तो जाके पांव न फटी वेवायी तो का जाने पीर पराई।
डॉ शरद आलोक ने भारत नार्वे के सम्बन्धों को लेकर पत्रकारों को विस्तार से जानकारी दी।
अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के अध्यक्ष एवं अवधी कहानीकार डॉ अर्जुन पाण्डेय ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि संस्थान समय- समय पर भाषा के विकास के लिए साहित्यकारों का सम्मान एवं विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता है।
इसी कड़ी में नार्वे से आये प्रसिद्ध साहित्यकार सुरेश चन्द्र शुक्ल सम्मान एवं व्याख्यान हुआ,
जिन्होंने डिजिटल संगोष्ठियों द्वारा हमारे क्षेत्र के साहित्यकारों को जोड़ कर एक पहचान दिलाई।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि प्रवासी भारतीय डॉ सुरेश चन्द्र शुक्ल का आगमन अमेठी एवं अवधी साहित्य संस्थान अमेठी के लिए गौरव की बात है। डॉ शरद आलोक ने भारतीय नार्वेजियन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम से संस्थान को जोड़ कर भाषा साहित्य के क्षेत्र में नयी उर्जा प्रदान करने कार्य किया है। इस अवसर पर अम्बरीष कुमार मिश्र ने डॉ शुक्ल से भारत एवं नार्वे के सम्बन्धों को लेकर व्यापक चर्चा की। सम्मान समारोह के अवसर पर डॉ अभिमन्यु कुमार पाण्डेय,कौशल कुमार मिश्र,धवन कुमार मिश्र, श्रीनाथ शुक्ल,सुधीर रंजन द्विवेदी, आदित्य मिश्र, शैलेन्द्र कुमार सिंह,संजय मिश्र , विवेक मिश्र आदि की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री नाथ शुक्ल के द्वारा किया गया। सम्मान समारोह का समापन राष्ट्रगान से हुआ I