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Author : मुंशी प्रेमचंद साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित हुए पत्रकार एवं साहित्यकार सत्येंद्र प्रकाश

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PRESENTED BY KAPIL DEV SINGH GAHARWAR

 

साहित्यकार सत्येंद्र प्रकाश को उनकी काव्य रचना “अंत कहां” के लिए मिला मुंशी प्रेमचंद साहित्य रत्न सम्मान

अख़बार और साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सत्येंद्र प्रकाश को उनकी काव्य रचना *** अंत कहां ** * के लिए इस वर्ष का मुंशी प्रेमचंद साहित्य रत्न सम्मान दिया जाएगा। उनकी इस बेहतरीन कविता को जयपुर , राजस्थान की एक जानी मानी संस्था अभाकाम ने इस वर्ष 2025 में पुरस्कृत करने के लिए चुना है। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के मूल निवासी पत्रकार और साहित्यकार,समाजसेवी सत्येंद्र प्रकाश जी की जन्मभूमि और पत्रकारीय कर्मभूमि गृह जनपद सुल्तानपुर समेत अयोध्या /फैजाबाद और अखबारों की मंडी देश की राजधानी नई दिल्ली रही है ।

उत्तर भारत के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर की डिग्री लेने के साथ ही सत्येंद्र प्रकाश जी साहित्य साधना और स्वतंत्र लेखन में रम गए। सामाजिक सरोकारों और राजनीतिक विसंगतियों को लेकर लिखी गई इनकी रचनाओं,गीत, ग़ज़ल मुक्तक, और कविताओं को जब सुधी जनों ने सराहा तो ये एक संवेदनशील रचनाकार के रूप में निखरे। आप आदमी को फोकस करते हुए अपनी धारदार टिप्पणियों और स्वतंत्र लेखन से इन्होंने अपनी विशेष पहचान बनाई। समाज सेवा से जुड़े संवेदनशील सत्येंद्र प्रकाश ने हिंदी समाचार पत्रों और हिंदी की पत्रिकाओं की ओर रुख किया। प्रिंट मीडिया की दुनिया में अपनी रिपोर्टिंग और तीखी टिप्पणियों से भी जाने गए।

दैनिक पत्र पत्रिकाओं का साप्ताहिक रविवारीय पृष्ठ इनकी जादुई कलम से जीवंत बन जाता था। यूं कहें कि कविताएं इनका पहला प्यार रही हैं। चार दशकों तक कई बड़े अखबारों और पॉपुलर पत्रिकाओं के संपादकीय से सक्रिय रूप से जुड़े रहकर अपनी लेखकीय क्षमता का लोहा मनवाया। दुनिया भर में मशहूर आउटलुक हिंदी मैगजीन के एडिटोरियल में उसके अंतिम अंक के प्रकाशन तक कार्यरत रहकर अपनी कलम चलाई। इसके अलावा दिल्ली की आधा दर्जन से अधिक पत्र पत्रिकाओं के संपादकीय विभाग में सक्रिय रूप से जुड़े रहे। एक समय दिल्ली के एक चर्चित अखबार के यशस्वी संपादक और पूर्व में बीबीसी रेडियो हिंदी सेवा में रहे वरिष्ठ पत्रकार मधुकर उपाध्याय के साथ उस समाचार पत्र के संपादकीय विभाग में काम करके अख़बार को समृद्ध कर अपनी खास छाप छोड़ी।

इससे पूर्व इन्होंने दैनिक जागरण सहित उत्तर प्रदेश के एक दर्जन से अधिक दैनिक/साप्ताहिक और मासिक पत्र पत्रिकाओं में संवाददाता /संपादकीय सलाहकार ,कवि एवं लेखक के रूप में अपना बेहतरीन योगदान दिया। आजकल दिल्ली से प्रकाशित एक राष्ट्रीय स्तर की मासिक पत्रिका उदय सर्वोदय,वीकली आई,साप्ताहिक मैगज़ीन और फर्स्ट एडिटर से जुड़ाव के साथ स्वतंत्र लेखन ,कविता , ग़ज़ल,मुक्तक , टिप्पणियां, समाचार…और समाजसेवा से भी सरोकार बना हुआ है। आउटलुक पत्रिका से सेवा निवृत्ति के बाद इनकी काव्य रचनाओं की अच्छी प्रस्तुतियां सराही गई।सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों को लेकर इनके दोहे, चौके और छक्कों को सुधी पाठकों ने बहुत पसंद किया।इनकी काव्य रचनाओं का संकलन पुस्तक का आकार ले रहा है। अब किसी अच्छे प्रकाशक की तलाश है।

बीते दिनों लखनऊ आए अभाकाम संस्था के महामंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने संस्था अध्यक्ष अजीत कुमार सक्सेना के हवाले से एक पारिवारिक भेंट में बताया कि दिल्ली के साहित्यकार सत्येंद्र प्रकाश की कविता को चतुर्थ राष्ट्रीय मुंशी प्रेमचंद सहित्य रत्न सम्मान 2025 के लिए चुना गया है। उनको यह सम्मान/ पुरस्कार अगले महीने 3 अगस्त को राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान दुर्गापुरा ,जयपुर के आडिटोरियम में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में प्रदान किया जाएगा।

 

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