मानव जीवन में भगवद चिंतन परम आवश्यक – पंडित राजेंद्र शास्त्री
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गोवर्धन।राधा कुंड परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीराम त्यागी आश्रम में आश्रम के अध्यक्ष श्रीश्री 1008 श्रीमहंत गिरीश दास त्यागी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ महोत्सव के समापन पर सप्तम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए हिंडौन सिटी से आए प्रख्यात भागवताचार्य पंडित राजेन्द्र शास्त्री महाराज ने भगवद भक्ति की महिमा बताते हुए कहा कि भक्ति सुदामा जैसी करनी चाहिए। तभी भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति संभव है।भक्त सुदामा महाराज की भक्ति का भावपूर्ण वर्णन करते हुए बताया कि संसार से मांगने पर भी हमको कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।परंतु भगवान की भक्ति से हमको हमारे जीवन में सब कुछ मिल सकता है।लेकिन वह भक्ति सरल भाव से करनी चाहिए।
पंडित राजेन्द्र शास्त्री महाराज ने कहा कि सुबह शाम पूजा करने के समय भगवद चिंतन परम आवश्यक है।नाम जप के बाद में अगली सीढी चिंतन ही है।जब भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धव को उपदेश देते हुए कहा कि जो व्यक्ति मेरे साथ संबंध जोड़ कर भक्ति करेगा और मुझे पूर्णत: मानेगा, तभी उसकी भक्ति पुष्ट होगी और मेरी प्राप्ति भी अवश्य ही होगी।पद्म पुराण के अनुसार भगवान शंकर ने नारदजी को बताया कि जो भी मनुष्य भगवान श्रीकृष्ण की आत्मा स्वरूपा श्रीराधा रानी के चरणों में समर्पित हो जाता है उसको भगवान श्रीकृष्ण की प्राप्ति निश्चित ही जाती हैं।
आचार्य जयनारायण बादल व आचार्य राजनारायण बादल ने सभी भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत श्रवण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।साथ ही श्रीराधा रानी के चरणों की भी भक्ति प्राप्त हो जाती है।हम सभी को ऐसे धार्मिक आयोजनों में सहभागिता करके सनातन धर्म व वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि प्रख्यात भागवताचार्य पंडित राजेन्द्र शास्त्री महाराज धर्म व अध्यात्म जगत की बहुमूल्य थाती हैं।वे श्रीमद्भागवत, श्रीराम कथा व अन्य धर्म ग्रंथों के माध्यम से सनातन धर्म का जो संवर्धन कर रहे हैं,वह अति प्रशंसनीय है।
इसके उपरांत श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति में सम्पन्न हुए हवन में सभी भक्तों-श्रद्धालुओं ने अपनी आहुतियां दीं। तत्पश्चात संत-वैष्णव-ब्रजवासी सेवा व भंडारा आदि के कार्यक्रम सम्पन्न हुए।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा, श्रीमहंत बालक दास महाराज, महंत अंबिका दास, श्रीमती साधना-ठाकुर हरिभुवन सिंह, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,देवकिशोर पचौरी, गोविंद शास्त्री, नवीन शास्त्री, केशवदेव शास्त्री, नारायण दास, महेश दास, संगीताचार्य आदित्य तिवारी व पुरुषोत्तम आदि की उपस्थिति विशेष रही I