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औने-पौने दाम में बेच रहे धान, किसान परेशान

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अमेठी।
विपरीत परिस्थितियों और कड़ी मेहनत के बाद किसानों ने धान की फसल भले तैयार कर ली हो लेकिन अब जब फसल तैयार हो गई है, तो क्रय केंद्रों के अभाव के कारण और तकनीकी दांव पेंचों के चलते आम किसानो के धान की खरीद नहीं हो पा रही है। भोले भाले किसान औने-पौने दाम में अपनी उपज बिचौलियों को धान बेचने को मजबूर हैं। हाड़तोड़ मेहनत के बाद किसानों ने धान की फसल तैयार की। अब जब फसल तैयार हो गई है, लेकिन किसानों से धान खरीद नहीं हो रही है। फसल बुवाई की जल्दबाजी में बेचारे किसान औने-पौने दाम में बिचौलियों को अपनी धान की उपज बेचने को मजबूर हैं। इस बार भी किसानों से धान खरीदने के लिए सरकार ने 2040 रू प्रति कुंतल समर्थन मूल्य की घोषणा भी कर रखी है। सरकारी समर्थन मूल्य 2040 रुपया निर्धारित है, लेकिन धान खरीद सुचारू रूप से शुरू नहीं होने से किसान 1500-1700 रुपए क्विंटल गांव में फेरी वाले व्यापारियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं। ताकि रबी फसल की तैयारी कर सके। पिछले सीजन में पहले सूखे बाद में भारी बरसात से फसलें भी खराब हुई हैं कुछ किसानों को इस बारिश के कारण धान की अच्छी फसल हुई है।

किसानों को धान बेचने के पड़े हैं लाले, खरीद केंद्र पर पड़े हैं ताले 

किसान धान बेचने के लिए पंजीकरण भी करा चुके हैं लेकिन, खरीद केंद्र के नाम पर मात्र एक विपणन का सिंहपुर एक दिन पूर्व शुरू हुआ है। दूसरा एफसीआई का (धीरापुर) पन्हौना साधन सहकारी समिति और साधन सहकारी समिति फूला कुल मिलाकर तीन केंद्र हैं जबकि पिछले वर्ष सात खरीद केंद्र थे। कुल मिलाकर सरकारी खरीद केंद्रों पर सुचारू रूप से खरीद शुरू नहीं हो सकी है। साथ ही अभी तक पूरे क्षेत्र में हवा बनी है सरकारी धान खरीद केंद्रों पर सिर्फ मंसूरी धान की खरीद की बात कही जा रही है। पूरे विकास क्षेत्र में कई स्थानों पर धान की कटाई जारी है। कई जगह किसान फसल तैयार कर सरकार की ओर मुंह ताक रहे हैं। अब तक में मात्र विपणन विभाग के धान क्रय केंद्र पर 10 नवंबर गुरुवार को धान खरीद शुरू हुई है और अब तक मात्र 64 कुंतल धान की खरीद हुई है। बाकी दो अन्य क्रय केंद्रों साधन सहकारी समिति फूला और साधन सहकारी समिति धीरापुर में खरीद शुरू नहीं हुई है।

बिचौलियों की है चांदी 

धान बेचने के लिए पंजीयन से लेकर क्रय केंद्रों तक के चक्कर लगाने से पिछले वर्ष परेशान रहे किसान घिसियावन चौरसिया बताते हैं कि इन केंद्रों पर सिर्फ मंसूरी धान की खरीद होती है अन्य प्रजाति के धान खरीद में हीला हवाली होती है और परेशान होकर किसान अधिक मूल्य पर सरकारी क्रय केंद्र में धान बेचने की उम्मीद छोड़कर बिचौलियों के हाथो मात्र 1500 से 1700 रुपए क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हैं। इस वर्ष धान की खरीद का सरकारी दर 2040 रुपए प्रति क्विंटल है परंतु प्रक्रिया की पेचिदगी के कारण किसान सरकारी क्रय केंद्रों में नही बेचना चाह रहे हैं। बिचौलिया गांव में घूम कर 1500-1700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद रहे हैं।

धान किसानों का क्या कहना है

किसान मंशाराम का कहना है कि “सरकारी कांटा पै धान बेंचय खातिर बड़े पापड़ बेलय का परत हैं पीछे साल मा धान बेंचय खातिर दुई महीना चक्कर लगाएन फिरिउ धान न बिका गांव मा फेरी वाले के हाथ 300 रुपया कम मा बेंचय का परा” कुल मिलाकर मंशाराम की माने तो आम आदमी को जिन प्रक्रियाओं से गुजर कर धान बेचना है उससे तो बेहतर है कि कम दाम में नगद बेच लिया जाए। क्षेत्र के किसानों ने धान बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा दिया है। गुरुवार से विपणन विभाग के एक मात्र खरीद केंद्र पर क्रय कार्य शुरू किया है। 2040 रुपए प्रति कुंतल सरकारी धान खरीद मूल्य है इसलिए हर किसान अपनी उपज सरकारी क्रय केंद्र पर बेचना चाहता है लेकिन क्रय केंद्रों के अभाव और इन सरकारी क्रय केंद्रों पर मंसूरी धान खरीद को ही प्राथमिकता दी जा रही है ऐसे में छोटे किसानों को सरकारी खरीद का लाभ मिलना दूर की कौड़ी है।

 

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