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Agricultural Development : जिलाधिकारी ने कृषि विकास की रूपरेखा पेश की, वैज्ञानिकों संग साझा किया विज़न

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REPORT BY LOK REPORTER

AMETHI NEWS।

कृषि विज्ञान केंद्र, कठौरा में आज जिलाधिकारी संजय चौहान की अध्यक्षता में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की तृतीय बैठक आयोजित हुई। बैठक में कृषि वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी एवं किसान उपस्थित रहे। बैठक में जनपद के किसानों के बीच उन्नत कृषि तकनीकी का प्रसार, मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा, पशुपालन का विकास, नर्सरी स्थापना, व्यावसायिक प्रशिक्षण और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ किसानों तक पहुंचाने को लेकर विस्तृत चर्चा की गई।

बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक अधिकारी आपसी समन्वय स्थापित करते हुए शासन की योजनाओं और नवीनतम कृषि तकनीकी को सीधे किसानों के दरवाजे तक पहुंचाएं। उन्होंने विशेष रूप से मोटे अनाज (मिलेट्स) की खेती पर जोर देते हुए कहा कि इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह पोषण सुरक्षा एवं जलवायु अनुकूल कृषि को भी बढ़ावा देगा। उन्होंने निर्देश दिया कि जो किसान पहले से मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं, वे अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करें और उनकी आवश्यकता अनुसार बीज एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं।

पशुपालन को बढ़ावा देने पर भी विशेष चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि अधिक से अधिक किसानों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण एवं संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि वे अपनी आय के अतिरिक्त स्रोत विकसित कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को समय-समय पर नवीनतम कृषि आधारित प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे बदलते मौसम और बाजार की मांग के अनुसार खेती में सुधार कर सकें। साथ ही सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं—जैसे कि फसल बीमा, सिंचाई, उर्वरक, यांत्रिकरण और बागवानी योजनाओं—की जानकारी किसानों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाई जाए।

बैठक में जिलाधिकारी ने एक समन्वय समिति गठित करने के निर्देश दिए, जिसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषि क्षेत्र से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी एवं किसानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस समिति की मॉनिटरिंग मुख्य विकास अधिकारी द्वारा की जाएगी। समिति का दायित्व होगा कि जनपद के सभी क्षेत्रों में किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और शासन की योजनाओं की जानकारी समय पर उपलब्ध कराई जाए। बैठक में उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों ने विभिन्न तकनीकी समाधानों और नवीन प्रयोगों की जानकारी साझा की।

इनमें जलवायु अनुकूल फसलों का चयन, कीट एवं रोग नियंत्रण के जैविक तरीके, आधुनिक सिंचाई पद्धतियां और फसल विविधीकरण के लाभ शामिल थे। नर्सरी स्थापना, समूह प्रदर्शन और नवयुवक-युवतियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण पर भी विस्तृत चर्चा हुई। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि कृषि केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि यह जनपद के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की रीढ़ है। ऐसे में कृषि से जुड़े सभी विभाग और वैज्ञानिक मिलकर कार्य करें, ताकि किसानों को वास्तविक लाभ मिले और उनकी उत्पादन क्षमता एवं आय में सतत वृद्धि हो।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी सूरज पटेल, आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार निदेशक डॉ राम बटुक सिंह, उप कृषि निदेशक सत्येंद्र कुमार, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. जी.के. शुक्ला, जिला उद्यान अधिकारी रणवीर सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष नवनीत कुमार मिश्र, सीटेड के निदेशक संजय सिंह सहित अन्य अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक एवं किसान मौजूद रहे।

 

पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण योजना के तहत कृषकों को कृषि रक्षा यंत्र व बखारियों हेतु आवेदन प्रारम्भ

 

जिला कृषि अधिकारी डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2025-26 के अंतर्गत पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग नियंत्रण योजना के तहत लघु एवं सीमान्त कृषकों को कृषि रक्षा यंत्र (हैंड स्प्रेयर, फुट स्प्रेयर, नैपसेक, पावर स्प्रेयर आदि) तथा अन्न सुरक्षा हेतु 2, 3 एवं 5 कुंटल क्षमता की बखारियों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।

इच्छुक किसान विभागीय दर्शन पोर्टल www.agridarshan.up.gov.in पर “यंत्र” लिंक के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के दौरान पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबर पर ओटीपी प्राप्त कर प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यदि दर्ज नंबर बंद है तो आवेदक अपने नए नंबर पर ओटीपी प्राप्त कर आवेदन कर सकता है।

एक मोबाइल नंबर से केवल आवेदक स्वयं या उनके ब्लड रिलेशन (माता, पिता, भाई, बहन, पुत्र, पुत्री एवं पुत्रवधू) ही आवेदन कर सकेंगे, जिसका सत्यापन किया जाएगा। योजना के अंतर्गत सभी प्रकार के कृषि रक्षा यंत्रों पर अधिकतम 50% अनुदान मिलेगा। मानव चालित यंत्रों पर अनुदान की अधिकतम सीमा ₹1500 प्रति यंत्र तथा शक्ति चालित यंत्रों पर ₹3000 प्रति यंत्र होगी। इसी प्रकार अन्न सुरक्षा हेतु बखारियों पर भी 50% अनुदान उपलब्ध होगा, जिसकी अधिकतम सीमा ₹2000 प्रति बखारी होगी।

लाभार्थियों का चयन बुकिंग/टोकन कन्फर्मेशन की तिथि से किया जाएगा। चयनित किसान को अधिकतम 10 दिन के भीतर यंत्र खरीदकर उसकी रसीद, फोटो, सीरियल नंबर और संबंधित अभिलेख पोर्टल पर अपलोड करना होगा। निर्धारित अवधि में खरीद न करने पर आवेदन स्वतः निरस्त हो जाएगा और उपलब्ध लक्ष्य पोर्टल पर पुनः प्रदर्शित होगा।

 

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