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Agricultural Sector : कृषि में नयी breath, ‘धन-धान्य योजना’ देगी नई राह

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PRESENTED BY ARVIND JÀYTILAK

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पीएम धन-धान्य योजना का शुभारंभ कृषि को लाभकारी और किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। छः साल तक चलने वाली इस योजना के लिए प्रति वर्ष 24000 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित कर दी गई है जिसके तहत देश के सर्वाधिक पिछड़े 100 जिलों के 1.70 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित होंगे। अच्छी बात यह है कि इसमें 36 मौजूदा योजनाओं को भी जोड़ा जाएगा जिससे कृषि क्षेत्र में आमूलचुल सुधार की संभावना प्रबल होगी। इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने, पंचायत और खंड स्तर पर फसलों की कटाई के बाद भंडारण क्षमता में वृद्धि, सिंचाई सुविधाओं में सुधार, लचीली ग्रामीण आजीविका का निर्माण के अलावा लांग एवं शॉर्ट टर्म लोन उपलब्ध कराना है।

निःसंदेह इस पहल से छोटे व सीमांत किसानों की आय बढ़ेगी तथा कृषि को भी आधुनिक तकनीकी से जोड़ने में मदद मिलेगी। कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही नहीं बल्कि अधिकाधिक लोगों के जीवन निर्वाह का संबल भी है। देश की तकरीबन 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 51 प्रतिशत भू-भाग पर कृषि कार्य होता है। किंतु बढ़ती आाबदी के कारण कृषि के समक्ष कई चुनौतियां खड़ी हैं। मसलन जोत का आकार सिमट रहा है। आज देश में 86.2 प्रतिशत किसान 47.3 प्रतिशत क्षेत्र में औसतन 2 हेक्टेयर से कम की कृषि भूमि के साथ छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में आ चुके हैं। कृषि से जुड़े लगभग 70 प्रतिशत से अधिक परिवारों का खर्च उनकी आय से अधिक है।

एक चौथाई किसान गरीबी रेखा के नीचे हैं। ऐसे में देश की मौजूदा सरकार द्वारा किसानों और कृषि की सुध लेना एक स्वागतयोग्य कदम है। वैसे भी गौर करें तो वर्ष 2014 में केंद्र में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तभी से कृषि और किसान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल हैं। किसान कल्याण की भावना सरकार की रीति-नीति व नीयत का हिस्सा बन चुका है। सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए लगातार विकास कर रही है। सरकार द्वारा देश का भाग्य संरचनात्मक रुप से कृषि और किसानों से जोड़ दिया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यह तथ्य है कि कृषि विकास औद्योगिक विकास की तुलना में दोगुनी तेजी से गरीबी को कम करता है। साथ ही विकास को भी रफ्तार देता है।

उदाहरण के लिए कृषि उत्पादन में एक प्रतिशत की वृद्धि औद्योगिक उत्पादन में 0.5 प्रतिशत और राष्ट्रीय आय में 0.7 प्रतिशत की वृद्धि करती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करते समय ए2$ एफएल फॉर्मूला को अपनाया था। तब सरकार ने कृषि उत्पादन के नकद व अन्य सभी खर्चों समेत किसान परिवार के श्रम के मूल्य को भी जोड़ दिया। नतीजा सामने है। किसानों की आय में तेजी से वृद्धि हो रही है। वर्ष 2014 तक जो कृषि बजट 25000 करोड़ से भी कम हुआ करता था, वह आज बढ़कर 1.37 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। वर्ष 2014 से पहले जो कृषि क्षेत्र संकटग्रस्त और घाटे का सौदा हुआ करता था वह आज मुनाफे के सौदे में तब्दील हो रहा है। सरकार कृषि बाजार को मजबूती देने के लिए कृषि बजट में लगातार वृद्धि कर रही है। उसी का नतीजा है कि फसलों का रिकार्ड उत्पादन और निर्यात हो रहा है।

भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई छू चुका है। सरकार की कोशिश डिजिटल तकनीक के जरिए कृषि को बढ़ावा देकर किसानों की माली मालत में बेहतर बदलाव लाना है। इसके लिए सरकार डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को तैयार कर रही है। इसके जरिए किसानों को फसलों के बारे में जानकारी देने, कौन-सी फसलें उगाई जाएं, फसलों की देखभाल कैसे हो, लोन एवं बीमा, फसल आकलन, बाजार की जानकारी और कृषि तकनीक उद्योग के विकास को समर्थन और स्टार्ट-अप्स को मदद के माध्यम से एक समावेशी विकास केंद्रित समाधान संभव हो पाना आसान होगा। सरकार इस योजना के लिए एक फंड भी तैयार की है जिसका मकसद किसानों के सामने आ रही चुनौतियों को आधुनिक तकनीक से समाधान करना है।

सरकार ने 2023-24 में किसानों की माली हालत सुधारने और कृषि क्षेत्र का विस्तार करने के निमित्त 25.48 लाख करोड रुपए का कृषि़ ऋण वितरित की है। इसका मकसद प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के अलावा कृषि स्टार्टअप के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने, कृषि में डिजिटल तकनीक और स्टोर क्षमता में इजाफा करना है। सरकार कृषि ऋण के लक्ष्य को पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन से जोड़ दिया है। उसी का परिणाम है कि आज किसान कृषि के साथ-साथ समानान्तर आमदनी का नया जरिया विकसित कर रहा है। किसानों की आमदनी बढ़े और देश के नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर हो इसके लिए सरकार लगातार किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने मोटे अनाज को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया।

इस कवायद से देश के किसानों में मोटे अनाज के उत्पादन में दिलचस्पी बढ़ी है। यह सच्चाई है कि जब तक किसानों की आय नहीं बढ़ेगी तब तक सकल घरेलू उत्पाद की उच्च वृद्धि को बनाए रखना कठिन होगा। चूंकि कृषि, कार्यबल के सबसे बड़ा भाग को समाहित करती है इसलिए कृषि और किसानों की आय पर ध्यान केंद्रित करना समग्र अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक उच्च विकास को सुनिश्चित करने का शानदार तरीका माना जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2016 में देश के किसानों की आय दोगुनी करने का नेक इरादा जाहिर किया। सरकार द्वारा अपनायी गयी व्यापार और विपणन नीतियां किसानों की आय की वृद्धि का संवाहक बन रही हैं। सरकार ने एक स्थिर मूल्य निर्धारण नीति को आयाम दिया है जिससे कृषि फसलों के वाजिब मूल्य मिलने शुरु हो गए हैं। सरकार किसानों की आय में वृद्धि के लिए हर वर्ष कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर रही है।

वर्ष 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की नेतृत्ववाली सरकार बनी तो गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य तकरीबन 1200 रुपए प्रति क्विंटल था। आज बढ़कर 2425 रुपए हो गया है जो दोगुने से भी अधिक है। इसी तरह 2014-15 में धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपए था जो आज बढ़कर 2389 रुपए हो गया है। सरकार ने देश के किसानों की आय में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार को नया आयाम दिया है। इसके लिए उसने किसानों के हित में कई दर्जन योजनाओं को मूर्त रुप दिया है। उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिए ‘हर खेत को पानी’ योजना चल रही है जो किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। आज की तारीख में किसानों को सरकारी बैंकों से कम ब्याज दर पर ऋण मिल रहा है। सरकार ने किसान क्रेडिट कार्य योजना की सुविधा उपलब्ध कराकर किसानों की तात्कालिक पैसे की समस्या को खत्म कर दिया है। इस योजना के तहत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन की सुविधा उपलब्ध है।

इस योजना का असर यह हुआ है कि जो किसान पैसे के अभाव में अपनी खेती की शुरुआत नहीं कर पाते थे, वह आज किसान क्रेडिट कार्ड की मदद से एक वर्ष में तीन फसलों का उत्पादन करके अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं ।दूसरी ओर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आया है। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को आच्छादित कर किसानों की चिंताएं दूर कर दी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को हर वर्ष 6000 रुपए की आर्थिक मदद 2000 रुपए की तीन समान किस्तों में दी जा रही है। इसी क्रम में पीएम धन-धान्य कृषि योजना से कृषि और किसानों की सेहत संवरेगी, इसकी उम्मीद जरुर की जानी चाहिए।

 

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