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नंदमहर धाम पर लगने वाले तीन दिवसीय यादवी महाकुंभ शुरू

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विजय कुमार यादव 

अमेठी। स्थानीय तहसील मुख्यालय से करीब आठ किमी दक्षिण गौरीगंज मार्ग के किनारे स्थित नंदमहर धाम पर लगने वाले तीन दिवसीय यादवी महाकुंभ शुरू हो गया है।जहां प्रदेश के विभिन्न जनपदों के साथ ही देश के अलग अलग राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के साथ ही यदुवंशियों का जमावड़ा तीन दिन तक लगातार चलेगा ।फिलहाल रविवार से ही आसपास के इलाकों में दूर दराज के दुकानदारों ने अपनी दुकानों को आकर्षक ढंग से सजाने में जुटे हुए हैं।वही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न रंग बिरंगे ध्वज के साथ यदुवंशियों का पहुंचना शुरू हो गया है।
मुसाफिरखाना तहसील मुख्यालय से दक्षिण दिशा में गौरीगंज स्थित जिला मुख्यालय को जाने वाले मुख्य मार्ग के पास स्थित है लाखों लोगों की आस्था व विश्वास का पवित्र स्थल नंद बाबा की धाम ।देश ही नहीं बल्कि दुनिया के इकलौते नंद बाबा के तपोस्थली नंद महर धाम पर प्राचीन काल से ही परंपरागत तरीके से लगने वाले यादव महाकुंभ में भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों से यदुवंशियों का जमावड़ा कुछ अलग ही अंदाज में होता है।ऐतिहासिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण अपने ज्येष्ठ भ्राता बलराम के साथ गाय चराते चराते विशाल भूभाग में बसे घने जंगलों में यहां पहुंचे थे ।दोनो भाइयों के काफी दिनों बाद भी जब वापस नही लौटे तो नंद बाबा खोजते हुए यहां पहुंचे थे ।काफी लम्बे समय तक यहां अपने प्रवास के दौरान उन्होंने आसपास केशवपुर नारायण पुर नंदियावां हरकरनपुर सुरपुर काशीपुर बसायकपुर किशुन दास पुर सहित दर्जन भर से अधिक गांव भी बसाए ।मान्यता है कि उस समय पूरे इलाके में पौंड्रक नामक राक्षसी प्रवृत्ति के राजा का शासन चल रहा था जिसके अन्याय अत्याचार से स्थानीय लोग त्रस्त थे ।भगवान श्रीकृष्ण व उनके भ्राता बलराम जी ने काशी में चले भीषण युद्ध में उसका वध कर जब वापस लौटे तो नंद बाबा से उनकी इसी स्थान पर मुलाकात हुई थी।तभी से कार्तिक मास की पूर्णिमा को यहां मेला लगता चला आ रहा है।पुजारी यहां राजा बलि का झंडा चढ़ाकर सर्व समाज को भूत प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाते हैं। नगाड़ों व देशी पचरा गीतों की मनमोहक गूंज से लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम नंद बाबा के गगन भेदी जयकारों से गुंजायमान होता रहता है। अमूमून दीपावली के साथ ही शुरू होने वाले यदुवंशियों के इस उत्सव की शुरुवात होती है।दीपावली के दिन से ही यादव बिरादरी के लोग अपने अपने घरों में अपने कुल देवता राजा बलि की प्राकृतिक वनस्पतियों से मूर्ति बनाकर अपने घर के पूजा स्थल पर स्थापित कर तीन दिन तक बिना अन्न ग्रहण किए राजा बलि व उनके अंगरक्षक के तौर पर साए की तरह रहने वाले पवारिया महराज की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते रहते हैं।तीसरे दिन स्थापित मूर्ति को पास के सरोवर अथवा नदी में प्रवाहित कर अन्न जल ग्रहण करते हैं।इसके बाद भी लगातार पुजारियों द्वारा अपने अपने घरों में परंपरागत रूप चले आ रहे पूजा घरों में शुद्ध देसी घी के दीप प्रज्ज्वलित कर राजा बलि व पवारिया की पूजा अर्चना करते रहते हैं।कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर नंद बाबा की धाम नंद महर पहुंचकर नंद बाबा की आरती करते हुए हवन करते हैं।मान्यता है कि राजा बलि की पूजा करने वाले पुजारी लोगों को प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाते है।वही प्रत्येक मंगलवार को गाय भैंस का दूध बाबा के मंदिर पहुंचकर चढ़ाने से वे भी स्वस्थ रहने के साथ ही दूध देते रहते हैं जिससे परिवार में धन्य धान्य की कमी नही रहती हैं।

मेले में वीवीआइपी लोगों ने लिया था आशीर्वाद
आस्था व विश्वास के केंद्र नंद बाबा की धाम पर पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राजीव गांधी संजय गांधी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह कर्नल राम सिंह कैप्टन अजय सिंह यादव सपा संस्थापक पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव सपा मुखिया अखिलेश यादव शरद यादव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नारायण दत्त तिवारी प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव सहित कई दिग्गज नेता नंद बाबा की धाम पर पहुंचकर दर्शन पूजन कर मत्था टेक चुके हैं।

पुलिस अधीक्षक ने मेले की सुरक्षा व्यवस्था का किया निरीक्षण 

बाबा नंदमहर धाम पर लगने वाला दो दिवसीय रात दिन का मेला सोमवार से शुरू हो गया हैं। मेले में श्रद्धालुओं और दुकानदारों को सुरक्षा और किसी तरह की अव्यवस्था का सामना न हो। इसके लिए पुलिस अधीक्षक डॉ इलामारन जी दलबल के साथ मेले में पहुंच गए। और मंदिर परिसर का सुरक्षा की दृष्टिकोण से जायजा लेते हुए दूर दराज से दुकान लेकर आए दुकानदारों से भी उनकी समस्याओं के बारे में विधिवत जानकारी ली, मेले में तैनात पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियो को सख्त निर्देश दिया, कि मेले में किसी तरह की गड़बड़ी न होने पाएं । मेले में श्रद्धालु और दुकानदारों में सुरक्षा की भावना बनी रहे।

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