शुभ्र ज्योत्स्ना का पर्व है दीपावली : पंडित चतुरनारायण पाराशर महाराज
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वृन्दावन, मथुरा।परिक्रमा मार्ग स्थित मिथिला कुंज में श्रीराधा माधव सेवा संस्थान ट्रस्ट के द्वारा सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं दीपावली व गोवर्धन पूजा महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।
प्रख्यात भागवताचार्य व वानप्रस्थ धाम के संस्थापक पंडित चतुर नारायण पाराशर महाराज ने कहा कि दीपावली प्रकाशोपासना का अत्यंत प्राचीन, सांस्कृतिक व राष्ट्रीय पर्व है।जो देश व समाज में प्रेम ,सदभावना एवं पारस्परिक सौहार्द्र को बढ़ाता है। यों तो दीपावली का पर्व अनेक सन्दर्भों से जुड़ा हुआ है परन्तु मुख्य संदर्भ भगवान श्रीराम का 14 वर्षों के वनवास से वापिस अयोध्या लौटने का ही है।उनका राज्याभिषेक जिस दिन हुआ था,उसी दिन से ही दीपावली मनाए जाने का त्योहार प्रारम्भ हुआ।
भागवताचार्य पंडित चतुर नारायण पाराशर महाराज ने कहा कि दीपावली शुभ्र ज्योत्स्ना का पर्व है।भारतीय संस्कृति में दीपों को ब्रह्म का स्वरूप माना गया है।इसीलिए हमारे विभिन्न धर्म ग्रंथों में ईश्वर से यह प्रार्थना की गई है – ‘ तमसो मां ज्योतिर्गमय’ अर्थात मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाइए।अज्ञान के अंधकार को ज्ञान का प्रकाश ही दूर कर सकता है।हमारा मानव जीवन तभी सार्थक है, जबकि हम स्वयं को दीपक की भांति लोक कल्याणार्थ समर्पित कर दें।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि वानप्रस्थ धाम के संस्थापक भागवताचार्य पंडित चतुर नारायण पाराशर महाराज धर्म व अध्यात्म जगत की बहुमूल्य विभूति हैं।उनके द्वारा संस्थापित श्रीराधा माधव सेवा संस्थान ट्रस्ट लोक कल्याण के विभिन्न सेवा प्रकल्प संचालित करके देश व समाज की अविस्मरणीय सेवा कर रहा है।इस ट्रस्ट ने गौ सेवा एवं वृद्ध जन सेवा के क्षेत्र में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है, जो कि अति प्रसंशनीय है I