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एक गूढ़ प्रश्न___________ !

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एक प्रश्न आता है कि क्या मृत्यु के बाद जीवन है ? तो इसमें एक प्रश्न यह भी आता है कि क्या हम मृत्यु से पहले भी सही माने में जीवित हैं ? जीवन का कोई भरोसा नही तो जाग मानव जाग मृत्यु आने से पहले जान ले मानव जीवन अपने आप में बड़ा शक्ति संपन्न है। आवश्यकता है स्वयं की शक्तियों को आज ही पहचानने की, ज़रूरत हैं एक दृढ़ संकल्प की, जूनून की। जन्म और मरण के बीच की कला है जीवन जो सार्थक जीने पर निर्भर हैं।

मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन मरण, यश अपयश, लाभ हानि, स्वास्थ बीमारी, देह रंग, परिवार समाज, देश स्थान सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है। साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव, और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है। अपने पुरुषार्थ से अपने सत्तकर्म से जीवन गाथा लिखनी हैं तो कहते हैं सुख वैभव भावी पीढ़ी को कालक़ुट तुम स्वयं पी गये । मृत्यु भला क्या तुम्हें मारती मरकर भी तुम पुनः जी गये ।

जिस इंसान के कर्म अच्छे होते है उस के जीवन में कभी अँधेरा नहीं होता।इसलिए अच्छे कर्म करते रहे वही आपका परिचय देगे यही सही से जीवन की परिभाषा है । बहुत ही गहन और गम्भीर यह बात है कि हम टालने की आदत के शिकार न बनें।टालने के अर्थ है -आलस,जो मनुष्य केपुरुषार्थ का सबसे बड़ा शत्रु है। टाल वहीं सकता है,जिसकी मृत्यु से घनिष्ठ मित्रता होती है ।

क्योंकि उसके पास करने के लिए समय ही समय है,जबकि मृत्यु अवश्यम्भावी तत्व है और कब आ जाएं ,ये भी अनिश्चित है तो हम काम को वर्तमान में करने की आदत बनाएं। तभी तो कहा है कि क्या हम मृत्यु से पहले भी सही माने में जीवित हैं ?

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