मनुष्य के अहंकार मिटाने का कार्य करते हैं भगवान – ज्ञानवी श्री
1 min readLOK REPORTER
AMETHI NEWS I
भगवान भक्तों के अहंकार का भाजन करते हैं। इसी से भक्त का कल्याण होता है I ये बातें जिले के विकासखंड जामों के सूरतगढ़ गांव में दुर्गा बक्श सिंह के यहाँ चल रही संगीत मयी श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिवस सोमवार को कथा वाचक ज्ञानवी श्री ने कही।
इस दौरान कथा पंडाल में भगवान वामन की झांकी सभी भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रही तथा संगीतमयी कथा से समस्त श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कथा वाचक ज्ञानवी श्री ने कहा कि भगवान को भक्त में अभिमान पसंद नहीं, रास के समय श्री कृष्ण ने गोपियों के माध्यम से यही शिक्षा दी कि जब हमारे अंदर अभिमान प्रवेश करता है तो हम भगवान से दूर होने लगते हैं I
भक्त प्रहलाद के पौत्र राजा बलि को जब अपने दान का अहंकार हो गया तो भगवान ने दो पग में धरती और अंतरिक्ष नापकर तीसरा पग बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल पहुंचा दिया।
वहां का राजा बनाकर उनका सम्मान बरकरार रखा तो सिर पर पैर रखकर उसके अहंकार का नाश कर दिया। गज ग्राह का प्रसंग सुनाते हुए कथा वाचक ने कहा कि गज-ग्राह(मगरमच्छ) का युद्ध- महर्षि देवल के श्राप के कारण उस झील में हुआ जहां हुहू नामक गंधर्व रहता था।
वह ग्राह(मगरमच्छ) जलक्रीड़ा करते समय चुपचाप गजराज के पास आया और वह गजराज का पैर पकड़कर पानी में खींचने लगा। गजराज चिल्लाया, अन्य हाथियों ने भी मदद करने की कोशिश की, लेकिन ग्राह(मगरमच्छ) बहुत ताकतवर था।
जब वह हर तरह से निराश हो गया तो हर तरह लाचार होकर उसने विष्णु भगवान की करुण पुकार की और भगवान ने गजराज को ग्राह के चंगुल से उबारा।
इस अवसर पर त्रिभुवन सिंह, हरि बक्श सिंह,देवेन्द्र सिंह गल्लू , विजय प्रताप, गुड्डू सिंह, नीरज सिंह, सुरजीत सिंह, राम पदारथ दुबे,विनोद मिश्र, तेजभान सिंह, देवराज सिंह, दीपराज सिंह, राहुल, शिवराज सिंह, राम खेलावन सिंह, संजय, शीतला सिंह, लाले ,अशोक सिंह, रामप्रसाद मौर्य, दयाराम, राम बोध, टिक्कू, पल्लर, पुल्लू सहित सैकड़ों की संख्या में महिलाएं और पुरुष मौजूद रहे I