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मानव का मुख्य है ग्राह्य क्षमता……..

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PRESENTED BY 

PRADEEP CHHAJER 

ज्ञान गुरू देते है लेकिन उसको ग्रहण सही से कितने – कितने कर
पाते है यह होती है मुख्य ग्राह्य क्षमता । इस धरती पर इंसान ईश्वर की बहुत ही सुन्दर देन है। हमारे चारों और सुन्दर वातावरण है। ईश्वर ने हमें स्वस्थ्य मष्तिष्क दिया है। अब हम अपने आप को अपनी शक्ति को कैसा देखते हैं अपने चारों और के वातावरण को कैसा महसूस करते हैं और दिमाग में किन विचारों को ग्रहण करते हैं यह सब तो अपने आप पर ही निर्भर करेगा ।

जीवन में अच्छी चीजे हमको कुछ अपने आपको उत्साहित करती है तो कुछ सीख भी देती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की हर विचार हमको एक सुंदर और सार्थक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। छोड़ने लायक बात को हम छोड़े । जानने लायक बात को हम जाने एवं ग्रहण करने वाली बात को ग्रहण करें (आत्मसात करें)I

अतः अहं से बाहर निकलकर “में” “में” की जगह “हम” और ज्यादा से ज्यादा “आप” शब्द का प्रयोग करते हुए विनम्रता,सरलता को आत्मसात करते हुए, होठों पर सदा मुस्कान रखते हुए, किसी के जालसाजी,बहकावें में आने से बचाव करते हुए, किसी के प्रति घृणा करने से बचते हुए, हम ज्ञानार्जन करते हुए ज्ञान को अर्जित करते हुए, सभी के प्रति वफादारी सच्ची मित्रता निभाते हुए, सभी नगीनों के प्रति सचेत रहतें हुए हँसी-खुशी अपनी जिंदगानी जीते रहें।

अतःजीवन में मुख्य ग्राह्य क्षमता हैं । जिसके कारण ही हम एक ही चीज को अलग-अलग लोगों द्वारा ग्रहण करने में विषमता हो जाती है।

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