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वाह रे मेरे देश का कानून ____उम्र बीत गई स्वरोजगार करने की उम्मीद में

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नई दिल्ली ब्यूरो I
मेरे देश का कानून कितना तेज है कि अपराधियों के लिए आधी रात को कोर्ट खोल दिया जाता है। वहीं एक युवक को सालों अपने हक की कानूनी लड़ाई लड़ने में जवानी बर्बाद करनी पड़ती है I लेकिन आज भी उसे हक मिलने का इंतजार है I

आइए उस शख्स से मिलाते हैं जो स्वरोजगार करने के लिए मिलने वाली जमीन को पाने के लिए 23 साल पहले कोर्ट में शिकायत किया था I इसी शिकायत के आधार पर कोर्ट ने जनवरी 2023 में सीईओ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को एक महीने की सजा उपभोक्ता फोरम की तरफ से सुनाई गई थी I

इसी साल जनवरी महीने में नोएडा, ग्रेटर नोएडा सीईओ रितु माहेश्वरी को एक महीने की सजा हुई थी I जिसके बाद खूब खबरें चलीं और चर्चा होती रही कि ऐसा क्या हुआ है? दरअसल यह मामला 23 साल पुराना था I जिसमें ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को एक जमीन के टुकड़े का आवंटन करना था, लेकिन नहीं किया गया I

उस जमीन के लिए महेश मित्रा कंज्यूमर फोरम में चले गए और 23 साल में कई आदेश के बाद अंत में सीईओ ग्रेटर नोएडा (वे नोएडा सीईओ भी हैं) को एक महीने की सजा सुनाई गई थी l लेकिन ये महेश मित्रा हैं कौन और अब उस मामले में क्या चल रहा है ?

कौन हैं शिकायत कर्ता–
महेश मित्रा मूलतः दिल्ली के रहनेवाले हैं I वे बताते हैं कि साल 2000 में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने एक स्कीम निकाली थी I जिसमें पहले आओ पहले पाओ के आधार पर (बिना किसी औपचारिकता के) उद्योग लगाने के लिए जमीन मिलनी थी I जब आवंटन की बारी आई तो ऑथोरिटी ने बिना किसी कारण बताए हमें जमीन नहीं दी I उसके बाद हम उपभोक्ता फोरम चले गए I यह केस 23 साल चला है उसके बाद 2023 जनवरी महीने में सीईओ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को एक महीने की सजा उपभोक्ता फोरम की तरफ से सुनाई गई थी I

जमीन के लिए सिक्योरिटी के तौर 20 हजार रुपये किए थे जमा

महेश बताते हैं कि इस लड़ाई में मेरी पूरी जिंदगी खत्म हो गई I उस वक्त कॉलेज से निकला ही था, सोचा था गाड़ियों की अपनी वर्कशॉप डालूंगा I उसके लिए अप्लाई करने के लिए 20 हजार रुपये मैंने जमा किए थे I वो भी मुझे वापस नहीं मिला I वे बताते हैं कि 750 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुझे एक एकड़ जमीन मिलनी थी, लेकिन बिना कारण बताए मुझे जमीन नहीं दी गई I

जब हमने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की तो वहां मेरे पक्ष में आदेश आया कि मुझे पुराने रेट पर जरूरत के अनुसार जमीन दी जाए ,जिसे बार-बार नहीं माना गया I ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी मुझे 9810 स्क्वायर मीटर के हिसाब से जमीन देने की बात कह रही है, जबकि आदेश पुराने रेट पर देने का हुआ था I इसके बाद सीईओ को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था I

जिसे अभी स्टे मिला हुआ है I इस महीने आदेश दुबारा आ सकता है I वहीं इस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी ने उपभोक्ता फोरम में एफिडेविट जमा किया था जिसके अनुसार 1000 स्क्वॉयर मीटर जमीन देकर रिव्यू करने की बात कही थी I

मेरे साथ अन्याय हो रहा है-शिकायतकर्ता

NATIONAL CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION 30 May 2014 (2) (1)
पीड़ित पक्ष का कहना है कि 23 वर्षों से मेरे के साथ अन्याय हो रहा है, कोर्ट के आदेश होने के बाद भी न्याय मिलने की उम्मीद क्षीण हो गई है,यही सच है I महेश मित्रा कहना है कि बहुत से सवाल है मन में क्या जवाब मिलेगा? क्या कभी सम्पूर्ण न्याय मिल पायेगा ? क्या सीईओ ग्रेटर नोएडा पद से निलंबित किया जाएगा? इन्हीं उम्मीदों के संघर्ष जारी रहेगा I

न्यायालय की टिप्पणी —

इससे ये साफ हो गया है कि सीईओ ग्रेटर नोएडा द्वारा प्रार्थी महेश मित्रा पर अन्याय, अत्याचार, अपमान, करने के साथ कर्तव्य में लापरवाही बरती हैं, मेरे स्वरोजगार लगाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए औद्योगिक प्लांट की आवंटन से सम्बंधित आवेदन मूल फाइल खो दी है और कोर्ट की व कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए प्रार्थी महेश मित्रा और उसके परिवार जीवन जीने/यापन करने के अधिकार से खिलवाड़ किया है I

न्यायमूर्ति अशोक कुमार (अध्यक्ष) और विकास सक्सेना (सदस्य) – राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने
आदेश – 16/01/2023 से 22/06/2023 एईए/1/2023 में लिखा है कि “हमारे सामने उपलब्ध सामग्री का अध्ययन करने के बाद, हमने देखा है और पता चला है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली, दिनांक 30-05-2014 द्वारा पारित निर्णय और आदेश का अब तक अनुपालन नहीं किया गया है।

अपीलकर्ता, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण,” “मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण उनके समक्ष रखे गए सभी दस्तावेजों पर विचार करेंगे और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली द्वारा पारित निर्णय और आदेश का 100% अनुपालन सुनिश्चित करते हुए निर्णय लेंगे। दिनांक 30.05.2014।”I

न्यायालय के आदेशों की अवहेलना

विगत 31 जनवरी 2023 को “अपीलकर्ता विकास प्राधिकरण का दृष्टिकोण सकारात्मक या मैत्रीपूर्ण नहीं है जैसा कि आज तक दावा किया गया है कि विकास प्राधिकरण इस मुद्दे को हल करने के बजाय बार-बार बाधाएं पैदा कर रहा है और पारित आदेश सहित न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों की भी अवहेलना कर रहा है। राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली द्वारा।”

“हमने देखा है कि कई मामलों में अपीलकर्ता विकास प्राधिकरण का कार्य उद्योगों के विकास के साथ-साथ राज्य के लोगों के लाभ के लिए सकारात्मक नहीं है। मौजूदा मामले में भी ऐसी ही चीजें चल रही हैं और मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के बजाय विकास प्राधिकरण इस न्यायालय और अन्य न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन करने पर अड़ा हुआ है।”

न्यायालय ने प्राधिकरण के प्रस्ताव को अनुचित माना

आदेश एससीडीआरसी 22062023 एईए/1/2023
“डिग्री धारक/शिकायतकर्ता ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई कि एनसीडीआरसी के आदेश के अनुसार वह दोनों पक्षों द्वारा शुरू में सहमत दर पर प्रश्नगत प्लॉट का हकदार है, इसलिए, उसने इसके लिए सहमति नहीं दी यानी प्लॉट पर नई/वर्तमान दर हम डिग्री धारक के तर्क से पूरी तरह सहमत हैं I

क्योंकि एनसीडीआरसी ने आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि प्राधिकरण ‘पिछले नियमों और शर्तों’ के अनुसार भूखंड का आवंटन करेगा। इसलिए एनसीडीआरसी के आदेश के आलोक में, निर्णय ऋणी पिछले नियमों और शर्तों के अनुसार प्लॉट प्रदान करने के लिए बाध्य है, न कि नई शर्तों पर। हम पाते हैं कि एनसीडीआरसी के आदेश के अनुपालन में, निर्णय देनदार को शुरू में पार्टियों द्वारा सहमत दर पर प्लॉट देना चाहिए I

जिसे एनसीडीआरसी के आदेश के अनुपालन में पिछले और अब तक के नियमों और शर्तों के अनुसार माना जा सकता है। आदेश का प्रभावी अनुपालन निर्णय देनदार/प्राधिकरण द्वारा शुरू नहीं किया गया है और नई दरों पर प्लॉट की पेशकश को आदेश का प्रभावी अनुपालन नहीं माना जा सकता है।

शिकायत कर्ता पर कोर्ट के फैसले का प्रभाव

फिलहाल कोर्ट ने सीईओ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी भले ही सजा सुनाई है I लेकिन शिकायत कर्ता की स्थिति जस की तस है I पीड़ित महेश मित्रा ने 23 वर्ष पहले प्राधिकरण के खिलाफ जो जंग छेड़ी थी 2023 में वहीं की वहीं रह गई। इस फैसले पर महेश मित्रा कहना है ये सजा सुकून अवश्य देता है I लेकिन इससे मुझे क्या मिला !

आगे कहते हैं कि न्यायालय ने तो अपनी अवमानना पर ये सजा सुनाई है I मेरे साथ जो अन्याय हुआ है, उस फैसले का इंतजार है I मुझे अपने कानून पर भरोसा है I उन्होंने मांग किया कि न्यायिक प्रक्रिया की समयावधि जरूर निर्धारित किया जाना चाहिए I नहीं तो ना जाने कितने कितने युवा से बूढ़े हो जाएंगे न्याय के इंतजार में I

रवि कुमार एन जी, Chief Executive Officer, Greater Noida Industrial Development Authiorty के पद पर वर्तमान में कार्यरत हैं, पीड़ित व्यक्ति को इनसे जमीन आवंटन की उम्मीद है I

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