न कर मिथ्या अहं बंदे…….
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हमको हमारे जीवन में अहं नहीं करना चाहिये । क्योंकि अहं ही
नाश का द्वार हैं । हम यह मिथ्या अहं न करे कि हमारे बिना उसका काम नहीं चलेगा जबकि हकीकत में किसी को भी, जिसकी जितनी जरूरत होती है उसके लिए उसकी उतनी ही
अहमियत होती है ।
खरगोश से दौड़ मे कछुए ने जीत कर अपनी सख्शियत सही से दिखाई है । हर छोटे से छोटे प्राणी मे अपनी-अपनीखासियत होती हैं । जो स्वयं की अहमियत नही रखता हैं तो लोगो के सामने उसकी काबिलियत दृष्टिगोचर नही होती हैं ।
जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं उनके जीवन पर हम नज़र डालें तो
जीवन मे अनेक संघर्ष से गुजरते हुए वे सफलता के शिखर पर पहुँचे हैं । इस मुकाम को पाने के पीछे छुपे राज़ को उन्होंने स्वयं
उजागर किया हैं । इसलिये स्वयं को कभी किसी से कम नही आंकना चाहिये यह उन महान व्यक्तियों के जीवन से हमको प्रेरणा मिलती है ।
हमें सदैव विनम्रता के साथ अपनी अहमियत रखना हैं ।स्वयं की कमियों को हँसते-हँसते स्वीकार करने की ताकत भी साथ में रखनाहैं। अपनी खूबियों को उजागर करने की सृजनशीलता वह स्वयं से प्यार करने वाला सख्शियत भी बनना हैं । सदा अपनी अहमियतसकरात्मक सोच व आत्मविश्वास से भरकर रखनी हैं ।
विनम्रता रूपी चार चाँद लगाने से व रखने से और अहमियत हमारे जीवन उपवनकि चमक जायेगी ।कहते है न रुकी वक्त की गर्दिश , न जमाना बदला , न और रिवाज ।पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला इसलिये न कर मिथ्या अहं बंदे।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान)