उंगली की है कथा निराली
1 min readउंगली –
उंगली की है कथा निराली
हर उंगली दूजे की आली
उंगली उंगली से वफ़ा निभाए
मिले जो सब मुठ्ठी बन जाए
उंगली जो उठे तो मान गिराए
दूजे के चरित का दोष दिखाए
किंतु हैं तीन स्वपक्ष में मुड़े
इंसान समझ भी अबोध बन जाए
उंगली ही तिलक कर मान बढ़ाए
प्राण में ऊर्जा प्रतिष्ठा कर जाए
उंगली उंगली से मिले निरन्तर
मुद्रा योग का क्रम बतलाए
उंगली कहती कर्मयोग को
उंगली से लेखनी के योग को
उंगली से तब जादू हो जाता
थामे जो कलम उंगली संयोग हो
उंगली से ऊर्जा संचालन
उंगली से ही सौंदर्य अनुमापन
उंगली ही रस से विभोर
उंगली में जीवन का हर पोर
उंगली ही चक्र गति सम्हाले
उंगली ही द्रुत काल उबारे
उंगली जो प्राणहीन तो
कौन गति मानव न हारे
उंगली ही रटे अक्ष माला भी
उंगली से ही सोम शाला भी
उंगली की चाल से ही देखो
मधुशाला बनती हाला भी
– कावेरी लिली #अन्तस् की आवाज