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देश-परदेस पुस्तक का हुआ विमोचन

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सुल्तानपुर। जनपद के ख्यातिलब्ध समाजशास्त्री एवं राजनीति से सरोकार रखने वाले राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ एमपी सिंह की कृति देश-परदेस का विमोचन बुद्धिजीज़वियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय सुल्तानपुर के सभागार में हुआ ।कार्यक्रम का शुभारंभ आये हुए अतिथियों द्वारा राणा प्रताप एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ । तत्पश्चात वैदिक मंत्रोचार के द्वारा कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत हुई। देश परदेस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का परिचय महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉएमपी सिंह बिसेन ने किया। उन्होंने देश परदेस के लेखक डॉ एमपी सिंह के सानिध्य में बिताए वर्षो के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि वे अत्यंत सहज, सरल और मृदुभाषी हैं। उनसे ही पढ़ना और पढाना सीखा । उनके इस यात्रा वृतांत में हमें उनकी सहजता सरलता का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। उनके इस यात्रा वृतांत का प्रारंभ कुशभवनपुर से होते हुए देश एवं विदेश के विभिन्न स्थलों के बारे में जानकारी सरल भाषा अभिव्यक्ति से देखने को मिलती है। यह पुस्तक पर्यटन प्रेमियों को राह दिखायेगी। कार्यक्रम के संचालक डॉ डीपी सिंह ने कहा कि इस यात्रा वृतांत में पढ़ने के साथ देख पाने की सुविधा भी है जिससे आम आदमी के लिए इसकी उपयोगिता बढ़ती है क्योंकि वे जो विदेश का भ्रमण नहीं कर पाते है उन्हें इस पुस्तक के माध्यम से यात्रा का सजीव एहसास होता है। साथ ही उनके लिए भी यह लाभदायक है जो यात्रा कर सकते हैं और उन्हें उन यात्रा स्थानों पर क्या सावधानी बरतनी चाहिए इसका भी जिक्र इस पुस्तक में है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना ने डॉ एमपी सिंह का परिचय करते हुए कहा कि वे एक शिक्षक के रूप में तदुपरांत एक विद्यार्थी संगठन में शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए समाज एवं राजनीति में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने इस पुस्तक में जो कि 189 पेज की है इसमें 59 यात्रावर्णन दिया गया है। जो कि 2003 से 2018 के बीच अर्थात 15 वर्षों की यात्रा का उल्लेख है । इसमें आधे देश आधे विदेश के स्थलों का रोचक यात्रा संस्मरण लिखा गया है। इसमें सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि यह यात्रा संस्मरण 2022 में लिखे गए। पाठकों को देश परदेस पढ़ने पर लगेगा कि वह खुद भी सहयात्री हैं। उन्होंने आगे कहा कि डॉ एमपी सिंह की याददाश्त ,उनका फोटो का शौक,उनकी टाइमिंग ,उनकी कल्पनाशीलता, इस पुस्तक को बेजोड़ बनाती हैं। पाठकों को महसूस होता है कि वह स्वयं उन स्थलों की यात्रा कर रहे हैं । इसमें लेखक की कल्पनाशीलता दूसरे के मन की बात को बयां करने की दक्षता भी लेखक के लेखन कौशल का परिणाम है। डॉ एमपी सिंह इस पुस्तक में अपने ऊपर हंसने का मौका भी नहीं छोड़ते हैं अर्थात इसमें सच को ज्यों का त्यों घटनाओं के क्रम में बयां करते हैं। इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुभाष राय जो कि अखबार के प्रधान संपादक है उन्होंने इस पुस्तक के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि लेखक कहीं ना कहीं गुरु का कार्य करता है यह पुस्तक अपनी पत्नी को या यूं कह लीजिए उनकी आत्मा को समर्पित एक सर्वोत्तम उपहार है ।आत्मा सब की एक ही होती है और एक आत्मा को दिया गया उपहार सभी आत्माओं तक पहुंचता है। आत्मा को जो प्रकाश मिलता है वह अगले आत्मा को भी प्रकाशित करता है इसलिए हर एक को पुस्तक लिखनी चाहिए। यह अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए कि उसे कौन पढ़ेगा कौन नहीं पढ़ेगा। पुस्तकें रोशनी दिखाती हैं पीढ़ियों को प्रकाशित करती हैं, उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि यह किताब यदि मैं नहीं पढ़ता तो कई चीज जान ही नहीं पाता । किसी भी दृश्य के उस पार भी बहुत दृश्य होते हैं। उन्होंने हजारी प्रसाद द्विवेदी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह कहते थे यदि एक भी पाठक पढ़ने वाला हो तो लिखना नहीं छोड़ना चाहिए। इस लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व पुलिस महानिरीक्षक बद्री प्रसाद सिंह ने कहा कि पुस्तक के माध्यम से किसी को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक अद्वितीय एवं सशक्त माध्यम है। इस पुस्तक से उनको पुरानी यादें ताजा करने में सरलता होगी जो इन स्थलों पर गए पर उन बारीकियों को महसूस नहीं कर सके, साथ ही जिन्हें वहां जाने का अवसर नहीं मिला उन्हें भी वहां होने का एहसास मिलेगा । उन्होंने इस पुस्तक के स्वयं के अनुभव के बारे में कहा कि वे पड़ोसी जनपद के होते हुए भी धोपाप और बिजेथुआ महावीरन से परिचित नहीं थे, इस पुस्तक से ही उन्हें यहाँ का पता चला और वह यहां की यात्रा करने पर विवश हुए। पर्यटन के बढ़ावे में यह पुस्तक बड़ी मददगार साबित होगी।
देश परदेस के लेखक डॉ एमपी सिंह ने कहा कि पहली बार सोशल साइट पर यात्राओं के अंश लिखे तो सकारात्मक एवं उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं मिली। वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना ने मुझे यात्रा विवरण एक पुस्तक आकार में लाने हेतु प्रेरित किया। इस पुस्तक में मैंने कुछ अनछुए पहलुओं का उल्लेख भी किया है जिनका विवरण गूगल पर भी नहीं मिलता। मैं वस्तुतः एक लेखक अपने को नहीं मानता ,मैंने जो देखा अनुभव किया उसका उल्लेख किया।मेरा शौक फोटोग्राफी में रहा, उस फोटोग्राफी के कलेक्शन से मुझे इस पुस्तक को लिखने में बहुत मदद मिली। यह पुस्तक मैंने आम भाषा, आम शैली में लिखने का प्रयास किया। यात्रा वृतांत को सफल बनाने में मेरी फोटोग्राफी का अहम रोल है, जो मुझे तीन चीजें हैं याद दिलाती है कि मैं किस समय किस तिथि पर कहां रहा क्या खाया। इस पुस्तक में 15 साल की मेरी यात्राओं का उल्लेख है । आप सबकी प्रेरणा और शुभकामनाओं ने मेरा उत्साहवर्धन किया है और आप सब की अपेक्षा है कि मैं एक नवीन पुस्तक आपके बीच लेकर आऊं तो इसके लिए मैं अवश्य प्रयास करूंगा ।धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में महाविद्यालय की वाइस प्रिंसिपल डॉ निशा सिंह ने कहा कि डॉ एमपी सिंह की इस पुस्तक को हम सबके बीच लाने में अप्रत्यक्ष भूमिका डॉ एम पी सिंह की अर्धांगिनी की रही जिन्होंने एक समाजशास्त्री में सर्जना के पंख लगाए। इसमें इनके पुत्रों सिद्धार्थ एवं शांतनु का भी विशेष योगदान है जिन्होंने अपने पिता के सपनों को साकार करने हेतु परीस्थितियां मुहैया कराई। इस पुस्तक से समाज को एक स्वस्थ संदेश भी जाएगा कि आज विदेशों में रहने वाले पुत्र अपने माता पिता को भूल जाते हैं या उनसे कट जाते हैं पर डॉ एमपी सिंह के पुत्रों ने न सिर्फ अपने माता पिता को देश विदेश की यात्रा कराई वरन उनके पर्यटन फोटोग्राफी के शौक को भी साकार रूप प्रदान किया। आज के बच्चों को यह पुस्तक प्रेरणा भी देगी। इस कार्यक्रम का सफल और कुशल संचालन डॉ डीपी सिंह ने किया । इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से युग तेवर के संपादक कमलनयन पांडेय , डॉ अब्दुल रशीद, शायर अब्दुल मन्नान, डॉ डी एम मिश्र, जिला सुरक्षा संगठन के संयोजक सुंरलाल टंडन, जाहिल सुल्तानपुरी, आद्या प्रसाद सिंह ‘प्रदीप’ डॉ सुशील कुमार ‘साहितेन्दु’, मथुरा प्रसाद सिंह ‘जटायु’ के एन आई के पूर्व प्राचार्य डॉ राधेश्याम सिंह, डॉ जेपी सिंह, महाविद्यालय के पूर्व प्रबंधक बजरंग बहादुर सिंह गनपत सहाय के कुंवर दिनकर प्रताप सिंह,आईक्यूएसी निदेशक इंद्रमणि कुमार,डॉ शैलेंद्र प्रताप सिंह, महमूद आलम, डॉ अभय सिंह, डॉ अखिलेश सिंह, डॉ भारती सिंह, डॉ कल्पना सिंह, डॉ विभा सिंह, शांतिलता कुमारी, डॉ सीमा सिंह , डॉ संतोष कुमार सिंह ‘अंश ‘ , इंद्रजीत सिंह, प्रियंका सिंह, डॉ राजेश कुमार सिंह, गुरु चरण विद्यालय की प्रिंसिपल, डॉ हीरालाल यादव ,डॉ बीना सिंह, डॉ नीतू सिंह, डॉ शालिनी सिंह, शिल्पी सिंह, वीरेंद्र गुप्ता ,करतार केशव यादव ,मनोज सिंह, विष्णु पाल, रोहित कुमार, राजेश शर्मा, अभिषेक सिंह संजय कुमार आदि उपस्थित रहें।

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