SPECIAL NEWS : दुर्लभ बीमारी पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस (पी.ए.पी.) से पीड़ित रोगी का हुआ सफल ऑपरेशन
1 min readREPORT BY AMIT CHAWLA
LUCKNOW NEWS I
निरंतर मरीजो की गुणवत्तायुक्त चिकित्सा प्रदान की करने की प्रक्रिया में विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ ने एक उत्कृष्ट प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसमें पल्मोनरी मेडिसिन और क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा दुर्लभ बीमारी पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस (पी.ए.पी.) से पीड़ित रोगी ज्योति पाण्डेय की होल लंग लैवेज (डब्ल्यूएलएल) प्रक्रिया को सफलतापूर्वक किया गया।
पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस (पी.ए.पी.) एक दुर्लभ और संभावित जीवन-घातक फेफड़े का विकार के बिमारी है। जिससे पीड़ित एक मरीज को संस्थान के जाने माने पल्मोनरी चिकित्क डा0 मो0 आमिर ने सफलतापूर्वक इलाज करते हुए इस बीमारी से निदान दिलाया I
इस अभिनव प्रक्रिया, पीएपी के उपचार में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है, यह एक ऐसी स्थिति है जो एल्वियोली, फेफड़ों में छोटी वायु थैली में प्रोटीन युक्त सामग्री के संचय की विशेषता है। यह जमाव गंभीर श्वसन हानि का कारण बन सकता है और यदि इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद आमिर और उनके एनेस्थेटिस्ट डॉ. राजीव गुप्ता, जूनियर रेजिडेंट डॉ. अभिषेक यादव और सहयोगी स्टाफ की टीम ने जटिल होल लंग लैवेज प्रक्रिया को अंजाम दिया, जिसमें जमा हुए पदार्थ को निकालने के लिए फेफड़ों को सावधानीपूर्वक धोना शामिल है। मरीज को डब्लू.एल.एल. के लिए डबल-लुमेन एंडोट्रैचियल ट्यूब से इंटुबैट किया गया था।
दोनों फेफड़ों को 1000 एम.एल. के एलिकोट्स का उपयोग करके 20 लीटर गर्म (37 डिग्री सेल्सियस पर) सामान्य सेलाइन से धोया गया। जब अपशिष्ट काफी हद तक साफ हो गया तो प्रक्रिया समाप्त कर दी गई। प्रक्रिया के तुरंत बाद मरीज को मैकेनिकल वेंटिलेशन पर आई.सी.यू. में स्थानांतरित कर दिया गया।
24 घंटे के बाद उसकी हालत ठीक हो गई और अब वह बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के स्थिर है। यह प्रक्रिया पीएपी के लिए सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है और इसके लिए उन्नत चिकित्सा विशेषज्ञता और अत्याधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है।
डॉ. मोहम्मद अमीर ने कहा, “होल लंग लैवेज प्रक्रिया का हमारा सफल प्रदर्शन विवेकानन्द पॉलीक्लीनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाता है।“ “यह अभूतपूर्व प्रक्रिया पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस से पीड़ित रोगियों के लिए न केवल नई आशा प्रदान करती है, बल्कि एक बहुत जरूरी उपचार विकल्प प्रदान करती है जो उनके जीवन की गुणवत्ता में चमत्कारिक रूप से सुधार कर सकती है।“
मरीज ज्योति पाण्डेय विवेकानन्द अस्पताल में आई तो वह पिछले 4 महीनों से परेशानी भरी खांसी, हल्के बुखार और गंभीर सांस फूलने से पीड़ित थी। विवेकानन्द अस्पताल आने से पहले उन्होंने अपनी बीमारी के लिए कई डॉक्टरों से सलाह ली।
लेकिन सही निदान और इलाज नहीं मिल सका. विवेकानन्द अस्पताल के डॉ. मोहम्मद आमिर और उनकी टीम द्वारा इस दुर्लभ बीमारी के सटीक और समय पर निदान और उचित उपचार से वह ठीक हो रही हैं और उम्मीद है कि वह पूरी तरह ठीक हो जाएंगी।
पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस दुनिया भर में प्रति 1 मिलियन व्यक्तियों पर लगभग 7 मामलों को प्रभावित करता है। इसकी दुर्लभता और इसके लक्षणों की गैर-विशिष्ट प्रकृति के कारण इसका अक्सर गलत निदान किया जाता है, जिसमें सांस की तकलीफ, खांसी और थकान शामिल हैं। प्रारंभिक और सटीक निदान, उसके बाद डब्ल.ूएल.एल. जैसे प्रभावी उपचार, बीमारी के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।
इस डब्ल्यू एल.एल. प्रक्रिया की सफलता चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने और दुर्लभ और जटिल स्थितियों के लिए अत्याधुनिक उपचार प्रदान करने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता को न केवल रेखांकित करता है बल्कि संस्थान के पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर की भूमिका में अग्रणी बना हुआ है, जो मरीजों को नवीनतम चिकित्सा नवाचारों और देखभाल के उच्चतम मानकों तक पहुंँच प्रदान करता है।
विवेकानंद हॉस्पिटल के सचिव स्वामी मुक्तिनाथ नंद ने बताया कि दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने के कारण मरीज को सही उपचार किसी भी अन्य अस्पताल में नहीं मिल पाया था I विवेकानंद अस्पताल में संस्थान के जाने-माने पलमोनरी चिकित्सक डॉक्टर मोहम्मद आमिर ने मरीज का सफलतापूर्वक उपचार स्वामी जी ने कहा कि विवेकानंद अस्पताल में संभवत लखनऊ में पहली बार इस दुर्लभ बीमारी पलमोनरी अल्वेओलार प्रोटोन्नोसिस का इलाज किया गया है