Spirit to live……..जीने का जज्बा
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उम्र का कोई भी पड़ाव हो हर समय हमको जीने का जज़्बा रखना चाहिये । कहते है की जिसने जीने का जज्बा(spirit to live) खो दिया मानो उसने अपना जीवन खो दिया । आत्मा का रूप है न रंग है ! ये तो महसूस करने का जज़्बा है ! कोशिश हर किसीकी है कि हर वो चीज़ हासिल करलूँ अपने प्रयास से मिलेगी ख़ुशी !सुख ! मन चाही !पर जाने क्यूँ फिर भी कुछ कमी सी है लगती
। आज के समय , सभी के लियें सबसे ज्यादा जरूरी हैं की बाहर से ज्यादा हम भीतर से मजबूत बने क्यूँकी भीतर की मजबूती हमें कभी भी किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होने देती आज के समय , सभी के लियें सबसे ज्यादा जरूरी हैं की बाहर से ज्यादा हम भीतर से मजबूत बने क्यूँकी भीतर की मजबूती हमें कभी भी किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होने देती है ।
हमारे में अगर आत्मविश्वास,दृढ़मनोबल,प्रामाणिकता आदि है तो हमे अपने जीवन के व जीने के जज्बे का मज़बूत लक्ष्यों पर स्थिर रहने में सहायक बनती है। इसलिए जीवन जीने का सकारात्मक सही जज़्बा हमेशा लगातार क़ायम रहे जीवन में आत्मविश्वास के साथ । स्वयं स्फूर्त चेतना ही अपने गंतव्य पथ पर अविराम गतिमान बनी रहती है। जल की प्रचंड तेजधार ही हर बाधा को चीर कर अंतिम सांस तक बहती है।
जब उद्देश्य केवल सात्विक, पारमार्थिक तथा सबजन हिताय के साथ जीने के जज्बा का होता है तब ही उस उत्साह की पवित्र श्रम बूंदे ,महोत्सव की गौरव गाथा कहती है। जीवन(Life)का भरपूर आनंद हर हाल में हर जगह में होगा यदि उत्साह की गाड़ी में सवार है। कहने को तो स्वर्ग भी हताश से भरा है पर जहाँ जोश है हौंसला है वह धरा भी स्वर्ग से कम नही। तभी तो टूटते नहीं मुसीबतों में यही अपनी पहचान है।हिलते नहीं हवाओं से हम तो एक चट्टान है।
बर्फ नहीं जो दो पल में पिघलने कि हमें आदत है।जज्बे से हर वक्त को बदलने कि हमें आदत है।हम ख़ुद को मजबूत माने और विकट परिस्थिति में भी नहीं हारे बल्कि और ताकत से लड़ते हुए जीत जाए । बस यही उत्साह सदा जीने के जज्बा का बना रहे |
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )