अलौकिक शिव ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन
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नवरात्रि नवमी संध्या वंदन में द्वापर युगीन, ऐतिहासिक कालखंड को अपने दिव्य स्वरूप में समाहित अलौकिक,अनुपम, कलाकृति सौंदर्य से परिपूर्ण(अर्धचंद्राकार आवरण, टीका केंद्र बिंदु के साथ शिवलिंगम् शालिग्राम, अनंत अंबर स्वरूप अरघा) तीन भागों से मिलकर पूर्ण होते शिव ज्योतिर्लिंग, के दर्शन पूजन का सौभाग्य प्राप्त हुआ I
यह शिव ज्योतिर्लिंग (#अरघा) सन् 1978 में मेरे पिताजी सत्यनारायण विक्रम को उस स्थान की खुदाई के समय प्राप्त हुआ था I उसी स्थान पर मेरे पिताजी ने श्रीकाल भैरव का चबूतरा निर्माण करवाकर इस अद्वितीय शिव स्वरूप ज्योतिर्लिंग को स्थापित कर एक मंदिर की स्थापना किया I
कालांतर में पन्हौना रियासत राजा विराट की राजधानी हुआ करती थी, इसके साक्ष्य आपको, ऐतिहासिक पुस्तक “#आइने-अकबरी” में मिलते हैं! I इस पावन शिव ज्योतिर्लिंग से 1 किलोमीटर पश्चिम में द्वापर युगीन महाभारत कालीन, (अज्ञातवास) सिद्ध पीठ मां अहोरवा का उद्गम स्थल पावन मंदिर स्थित है, अर्जुन को आखेट के समय इसी स्थान पर मां भगवती अहोरवा के दर्शन प्राप्त हुए थे, पांडव भाइयों युद्धिष्ठिर,अर्जुन,भीम, नकुल, सहदेव उसी स्थान पर पूजन अर्चन कर मां अहोरवा की स्थापना की I
ग्राम वासियों एवं क्षेत्रवासियों की तरफ से वर्षभर कार्यक्रमों का आयोजन, श्री रामचरितमानस पाठ, सत्यनारायण व्रत कथा, कान छेदन एवं मुंडन संस्कार, एवं वार्षिक पंच दिवसीय रासलीला का आयोजन मुख्य है I
बाई झाड़ने वाले बाबा के नाम से है क्षेत्र में प्रसिद्धि, स्थानीय एवं दूर-दराज से लोग रविवार सोमवार मंगलवार बायी रोग के इलाज के लिए नियमित बाबा के दरबार में आते हैं श्रद्धालु, निशुल्क सुविधा का उठाते हैं लाभ I इस क्षेत्र के वर्तमान हालात् के अनुसार कालांतर में निर्जन वन एवं धना उपवन पांडवों का विश्राम स्थल था पांडव शिव उपासक थे, शिवपुराण, श्रीमद्भगवद्गीता इस बात की पुष्टि करते है I
मंदिर संरक्षक कृपाशंकर स्वयं बताते हैं कीबचपन से लेकर मैंने भी नाशिक, पंचवटी, (शिर्डी) , गंगा गोदावरी उद्गम स्थल, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, ब्रम्हगिरी पर्वत, मुंबा देवी, महालक्ष्मी मुंबई, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग वाराणसी, बाबा बैजनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग, (बिहार) , बाबा बासुकीनाथ ज्योतिर्लिंग, (झारखंड ) अवसानेश्वर महादेव (हैदर गढ़ बाराबंकी) बाबा घुश्मेश्वर महादेव (प्रतापगढ़) आदि देश से लेकर प्रदेश स्तर की यात्रा की, दर्शन किया, किंतु इस अद्भुत अद्वितीय ज्योतिर्लिंग के समान दूसरे ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं हुए I
आप सभी सनातनी प्रेमियों साथियों से निवेदन है कि इस अद्वितीय ज्योतिर्लिंग के उचित कालखंड की सही गणना हेतु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इकाई द्वारा सांस्कृतिक, ऐतिहासिक संरक्षण अधिनियम 1958 के अंतर्गत एवं प्राचीन बहुमूल्य पुरातत्व अधिनियम 1972 के तहत इसके संरक्षण उचित रखरखाव मे आपके सहयोग की सहभागिता का आकांक्षी हूं I
कृपाशंकर विक्रम
संरक्षक
काल भैरव मंदिर
प्रांगण पन्हौना, सिंहपुर, अमेठी उत्तर प्रदेश (लेखक के अपने विचार हैं)