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पन्हौना में होली पर फूलडोल कार्यक्रम की परंपरा 200 वर्ष पुरानी

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अमेठी।

पन्हौना रियासत के तालुकेदार स्वर्गीय रावत शिवरतन सिंह के द्वारा लगभग 200 वर्ष पूर्व होली के अवसर पर सुबह से लेकर दोपहर तक चौपाल लगती थी। उस चौपाल में उस वक्त की क्षेत्र की नामचीन हस्तियों के ग्राम वासियों के साथ तालुकेदार भांग ठंडाई एवं जलपान के साथ रंग गुलाल अबीर फगुआ गीतों के साथ होली खेलते थे। रंग खेलने के पश्चात स्नान ध्यान कर उसी प्रांगण में पूजा-पाठ कार्यक्रम आयोजित होता था।

स्वर्गीय रानी साहिबा राजभवन के प्रांगण में स्थित शिव मंदिर में पूजन कर एक डोली में भगवान की प्रतिमा रखकर गांव मे बारात निकलती थी। यह बारात ग्राम सभा के प्रत्येक परिवार और प्रत्येक दरवाजे तक जाती थी और बारात का कारवां एक दूसरे से जुड़ता जाता था इसे फूलडोल का नाम दिया गया था।

सिंहपुर क्षेत्र के पन्हौना गांव के तालुकेदार शिवरतनसिंह ने समाज में भेद भाव ऊंच नीच, छुआछूत जातिवाद की भावना को समाप्त करने के लिए ही इस प्रथा की शुरुवात की थी। इस फूलडोल कार्यक्रम में सभी लोग समान रूप से प्रतिभाग करते थे एक दूसरे को समान रूप से गले मिलना एक दूसरे के साथ पूरी ग्राम सभा में प्रत्येक दरवाजे तक जाना होता था।

इस दौरान फूलडोल की पालकी को उठाने में सभी लोग शामिल होते थे गांव में भ्रमण के बाद शाम को 6:00 से 9:00 के बीच पुनः राज भवन के प्रांगण में फिर से ग्रामसभा वासियों का जमावड़ा होता था। और फिर सभी के मनोरंजन के लिए तालुकेदार की तरफ से मनोरंजन के लिए रात्रि में में नाटक का मंचन होता था नाट्य मंचन में राजा हरिश्चंद्र नाटक बहुत ही प्रसिद्ध था।

इस नाटक में तालुकेदार शिव रतन सिंह के पुत्र कुंवर रावत कन्हैया बक्स सिंह भी प्रतिभाग करते थे उस समय यह नाटक डलमऊ से लेकर अयोध्या तक प्रसिद्ध था।गांव निवासी शिवकृपा विक्रम बताते हैं कि आज सी 30- 35 साल पहले हम लोगों के बचपन में जिस उल्लास के साथ इस परंपरा का निर्वहन होता था समय के साथ काफी परिवर्तन आ गया है युवा पीढ़ी का रुझान कम होता हुआ नजर आ रहा है I

फूलडोल के वास्तविक स्वरूप एक डोली दो कहारों के कंधे पर ढोल, नक्कारा, डफला, मृदंग झीका जैसे वाद्य यंत्रों के साथ सुशोभित यात्रा की जगह पर अब डीजे पर थिरकते युवाओं ने फूलडोल की परंपरा में बदलाव किया है। पन्हौना की धरती पर इस तरह की भेदभाव छुआछूत जात पात रहित परंपराओं को बढ़ावा मिलना जरूरी है जिससे समाज में समता ,ममता, सद्भावना, प्रेम, भाईचारा सौहार्दपूर्ण बना रहे ।

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