टोपी वाले बाबा की अनूठी पहल के हुए लोग कायल !!
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अमेठी।
“खाते हो क्यों पान मशाला?
निकोटीन विष की पुड़िया से करते हो मुंह काला” जैसे नशा विरोधी गीतों से युवाओं को लगातार जागरूक कर समाज में अपनी पहचान बनाने वाले बालक राम प्रजापति ने सैकड़ों युवाओं को नशा से तौबा कराया है।यही कारण है समाज में लगातार बढ़ती नशाखोरी के प्रति समाज को जागृति करने का कार्य करने वाले बालकराम प्रजापति की पहचान पूरे क्षेत्र में “टोपी वाले बाबा” के रूप में हो रही है।
मूलतः सिंहपुर क्षेत्र के टिकरी ग्राम पंचायत के पूरे कुम्हारन निवासी बालक राम प्रजापति पहले अपना पुस्तैनी कार्य मिट्टी के बर्तन बनाने वाला करते थे लेकिन समय के साथ धंधा मंदा पड़ा तो घर बनाने के कार्य में राजगीरी मजदूरी का कार्य करने लगे।इसी बीच कुछ लोगों के साथ उन्हें सतपाल महाराज के शिष्यों की संगत मिली और प्रभावित होकर सतपाल महाराज के शिष्य बन गए और समाज सेवा के कार्य में जुट गए।
आज नशे के प्रति समाज को जागृत करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है।राम बालक का कहना है कि समाज में बढ़ती नशाखोरी को देखते हुए स्वयं की व्यवस्था से यह अभियान लगभग दस वर्षों से चला रहे है जिसके अंतर्गत गांव गांव में जाकर गीत संगीत के माध्यम से नशा से होने वाले सारीरिक नुकसानों के बारे में जागरूक कर रहे हैं यही नहीं स्कूलों में जाकर युवाओं को भी पान मशाला,तंबाकू जैसे व्यसनों के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं।
राम बालक प्रजापति ने अपनी एक संगत बना रखी है जो अपने निजी कार्यों से बचे समय का सदुपयोग नशा मुक्ति संदेश लेकर क्षेत्र के अलग अलग गांवों में भ्रमण करते रहते हैं। बीते दस वर्षों में बहुत से युवाओं, महिलाओं ने इनके जागरूकता गीतों एवं बातों से प्रभावित होकर नशा त्याग दिया है।
क्षेत्र के हथरोहना गांव में आयोजित इसी प्रकार के एक जागरूकता कार्यक्रम के दौरान रामबालक प्रजापति ने बताया कि मैं विशेष रूप से युवा वर्ग को जागरूक कर रहा हू जो नशा की गिरफ्त में आने शुरू हुए हैं। उन युवाओं को नशा के प्रति आगाह करना है जो इस व्यसन में नहीं आये हैं। इसलिए मैं ज्यादा स्कूल एंव कॉलेजों में जाकर युवाओं को जागरूक कर रहा हूं कि वे आगे भविष्य में नशा ना करें और एक अच्छे नागरिक बनकर परिवार, देश, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं I
आज हमारे समाज में ऐसी कई घटनाये देखने को मिल रही हैं जो सिर्फ नशे की वजह से हो रही हैं समाज के लिए चिंतनीय है, गंभीरता का विषय है उन्होंने कहा कि मैं नशाखोरी को कोरोना महामारी से भी खतरनाक मानता हूं क्योंकि कोरोना मे व्यक्ति एक बार मर के चला जाता है लेकिन नशाखोरी से व्यक्ति रोज मरता है ऐसी कई घटना हमारे समाज में देखने को मिल रही रही हैं ।
कई अपराध चोरी,महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, दुर्घटना, लड़ाई झगड़ा, स्वास्थ्य, शिक्षा में प्रभाव आधा से ज्यादा कारण नशा बन गया है। और जो इस व्यसन में चला जाता है उसे वापस लाना बहुत मुश्किल है क्योंकि नशा की कोई दवाई नहीं आती है इच्छाशक्ति ही इसकी मूल दवाई है इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरे जो युवा भाई वर्तमान में पढ़ाई कर रहे हैं वह आगे चलकर भविष्य में नशा ना करें।

