सुन्दरता हो व्यवहार की…..
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इस जीवन के हर दिन ना जाने कितने लोगों से हमारी मुलाक़ात होती रहती है । व्यवहार और बोल-चाल होती रहती है।परन्तु
किसके साथ हमने अच्छा सलूक किया या बुरा ।किसको हमने कटु वचन कहा या किसको हमने धोखा दिया।
यह चिन्तन जरुर हो । जब ख़ाली समय होता है तो यह आभाष ज़रूर होना चाहिये कि आज हमने क्या ग़लत किया और क्या अच्छा। यह बात हमेशा हमारे दिमाग़ में रहनी चाहिये कि इंसान को अपने द्वारा किए हुए अच्छे किये काम याद आये या ना आये पर उसके द्वारा किये गये कोई भी ग़लत क़ार्य उसके ज़िंदगी भर पीछा नहीं छोड़ते है ।
सुंदरता वो नहीं जो हमें आईने में दिखाई देती है । सुंदरता आदमी के गुणों की होनी चाहिए जो दिल से महसूस की जाए। आज भी गोरा रंग को पसंद किया जाता है। बौद्धिक क्षमता , कार्य क्षमता के बदले शारीरिक आकर्षण ज्यादा देखा जाता है। सब जानते है की बाहरी सुंदरता उम्र के साथ ढल जाती है ।
शरीर तो नाशवान है पर आन्तरिक सौंदर्य उम्र के साथ स्थाई रहता है । स्वभाव में विनम्रता, हृदय में आत्मीयता, व्यवहार में सुन्दरता, मन में सेवाभाव की वृत्ति, जन-कल्याण की प्रवृत्ति आदि जीवन आचरण में रहेगी तो लोगों के दिलों में हमको आदर सहित स्मृति रहेगी ।
जिससे व्यक्ति अगर दुनिया में नहीं रहता है तो भी आंतरिक (सुंदरता) गुणों के बल पर सब के दिलों में राज करता है ।सब उसके कार्य को याद करते हैं ।