सच्चे दोस्त…..
1 min read

जो सदा अपने रिश्तो के संग से मिला रहेगा । सुमन की तरह जीवन में हर समय मिलकर खिला रहेगा । सभी प्रकार के हजारो दोस्तो के आगे कभी भी सच्चे दोस्त के लिये उसका न मुँह सिला रहेगा । बसंत आये तो खिले चिहुँ और फूल हजार तो कोई ग्रीष्म में कोई शीत में हो गुलज़ार।
जब भी खिले देते आनंद भरते रंग सच्चे दोस्त भी पुष्प सम जीवन में हैं खुशियों की बहार। दोस्त का मतलब यह है की दूर रहकर भी जो पास हो । ओरो से ज़्यादा वो खास हो ।सबसे प्यारा जिसका साथ हो । तक़दीर से ज्यादा जिस पर विश्वास हो ।
सच्चे दोस्त बड़े भाग्य से मिलते हैं।क्योंकि वो न दिन देखते है , न रात देखते है , न आधी रात देखते है , न आँधी देखते है , न तूफान देखते है , न काम आदि देखते है । जब भी जहाँ जैसी जरूरत हुई तो दौड़ कर वे चले आते है । मैंने देखा समझा अनुभव किया है की जब विपरीत परिस्थिति आती है तो कितनों के घर वाले सर्वप्रथम दूर होते है ।
देखा – देखी में दूसरे रिश्तेदार भी दूर होते जाते है । उस समय जो आगे बढ़कर साथ निभाता है वो दोस्त होता है । सच्चे दोस्त किसी हकीम से कम नहीं होते है । वह बिना दवा के भी गम को रफू चक्कर कर हँसा कर निकल जाते है ।
सही में सच्चे दोस्त अपने भाग्य के योग से मिलने वाले ऐसे फ़रिश्ते होते हैं जिनके साथ पता नहीं कितने पूर्व जन्मों के रिश्ते होते हैं। तभी तो कहा है की सच्चे दोस्त की अपनी अलग ही पहचान होती है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़,राजस्थान )