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गांवों में गंदगी का अंबार, सफाईकर्मी रहते हैं नदारद

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अमेठी।
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दे रहे हैं और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पी एम के मिशन स्वच्छता अभियान का ग्रामीण क्षेत्रों में बुरा हाल है। गांव में नियुक्त सफाई कर्मी नदारद रहते हैं। अधिकतर सफाई कर्मी अधिकारियों व प्रधानों की सेवा कर अपनी ड्यूटी कागजों में पूरी कर रहे हैं। दरअसल पंद्रह साल पहले प्रदेश सरकार ने गांव को स्वच्छ रखने को लेकर सफाई कर्मियों की नियुक्ति की थी। इससे सरकार की मंशा साफ थी की सफाई कर्मी गांव में रहकर गांव को स्वच्छ बनाये रखने का काम करेंगे, लेकिन नियुक्ति के बाद कुछ दिन तक तो सफाई कर्मियों ने गांव में काम किया। उसके बाद अचानक गांव से नदारद हो गए। जिससे गांव को स्वच्छ रखने की सरकार की मंशा को अब पलीता लग रहा है। क्योंकि गांव से सफाई कर्मचारी अब नदारद हो चुके हैं वहीँ गांव में जगह जगह कूड़े का अंबार लगता जा रहा है और नालियाँ भी गंदगी से बजबजा रही हैं। यही नही मजबूरन गाँव वासियों को खुद सफाई करनी पड़ रही है।

मालूम हो कि सिंहपुर विकास क्षेत्र में कुल 74 राजस्व गांव हैं और 58ग्राम पंचायतें हैं और पूरे ब्लाक में कागजी तौर पर 48सफाई कर्मी तैनात हैं परंतु हकीकत पर गौर करें तो छः सफाई कर्मी ब्लाक में संबद्ध हैं और चार सफाई कर्मी जिले के अधिकारियों को अपनी सेवाएं दे रहे हैं बचे 38सफाई कर्मी भी मौज मस्ती कर रहे हैं।क्षेत्र के दर्जनों गांव गंदगी की समस्या से जूझ रहे हैं इनमें खरावां, लौली ,जैतपुर,जगतपुर, पेंडारा, जेहटा उसरहा, अहोरवा भवानी,खारा, नौखेड़ा,युसूफनगर, मिर्जागढ़ इन्हौना,फूला,भिखीपुर आदि गांवों में गंदगी का अंबार है।नालियों में कीचड़ भरा है।विद्यालयों के शौचालय गंदगी से भरे पड़े हैं।अन्य कई गांवों की हालत यही है। जहां गांव में सफाई कार्य के लिए कर्मचारी तैनात हैं। निगरानी के लिए प्रधान का पहरा है, इसके बाद पर्यवेक्षण अधिकारी के रूप में एडीओ पंचायत की तैनाती है। लेकिन इन सबके बावजूद गांव में सफाई व्यवस्था दम तोड़ रही है। राजस्व ग्रामों मे तैनात सफाई कर्मी गांवों तक नही पहुँच रहे हैं। जिससे नालियों को ग्रामीण स्वयं साफ करने को विवश हैं। वहीं सफाई कर्मी की उपस्थिति सिर्फ प्रधान के घर व एडीओ पंचायत के कार्यालय तक ही सीमित है। जिसका जीता जागता उदाहरण विकास खंड सिंहपुर के जगतपुर और लौली व खरावाँ ग्राम पंचायत में देखा जा सकता है।सफाई कर्मी तैनात होने के बाद भी पूरे ग्राम पंचायत में जगह जगह कूड़े कचरे का ढेर लगा हुआ हैं और झाडियाँ उगी हुई हैं।गांव के मुख्य मार्ग के किनारे बनी नालियां पूरी तरह कीचड़ से भरी हुई बजबजा रही हैं। यहां सफाई न होने से नालियां चोक हो चुकी हैं। हैंडपंप के चारों तरफ घास उगी हुई है। गांव मे सरकारी पक्की नाली बनी है लेकिन उसकी सफाई नही हो रही है। स्कूल के शौचालय में गंदगी की भरमार है। प्राथमिक विद्यालय जैतपुर की प्रधानाध्यापक मोहिनी वर्मा का कहना है कि कई महीने से विद्यालय के शौचालय गंदे हैं गंदगी के चलते उनका प्रयोग नहीं किया जा सकता तैनात सफाई कर्मी को कई बार कहा पत्र भी भेजा लेकिन सफाई को कौन कहे देखने तक नहीं आया।कई गांवों में तो गांव के लोगों ने बताया कि गांव में सफाई कर्मचारी कौन है ये जानकारी नहीं है। वह लोग खुद सप्ताह मे एक दिन घर के सामने बनी नाली की सफाई करते हैं और गांव में कई वर्षों से सफाईकर्मी को देखा तक नही है। गांव मे सफाई नहीं होती है। लोगों का कहना है कि सफाईकर्मी की तैनाती होने या नही होने से कोई फर्क नही पड़ता है। ब्लाक पर ही सब कागजों में सफाई कार्य कर रहे हैं।सफाईकर्मी की उपस्थित प्रधान के घरों और एडीओ पंचायत के कार्यालय तक सीमित है। जहाँ ग्रामीणों ने बताया कि अधिकतर गांव में तो सफाईकर्मी आते ही नहीं हैं। गांव वालों को खुद ही सफाई करनी पड़ती है। सफाई कर्मी प्रधान और ब्लॉक कर्मचारियों की मिलीभगत से सेटिंग और गेटिंग के खेल से अब सफाई नहीं करते। फिलहाल जमीनी हकीकत यही है कि सफाई कर्मी अब गांव से नदारद हो चुके हैं और गांव में कूड़े का ढेर लगने के साथ ही नालियाँ भी गंदगी से पट रही हैं। जिससे मच्छरों की समस्या उत्पन्न होने से संक्रामक बीमारियों के फैलने की भी आशंका बनी हुई है। लेकिन जिम्मेदार सब कुछ जानते हुए मौन हैं।

क्या कहते हैं सहायक विकास अधिकारी पंचायत।
सफाई कर्मियों के गांव में सफाई न करने जाने की बाबत जब सिंहपुर के सहायक विकास अधिकारी पंचायत पंकज मोहन मिश्र से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गांव पंचायतों और राजस्व गांवों के हिसाब से सफाई कर्मियों की बहुत कमी है फिर भी जितनी संख्या है उनसे सफाई काम करवाने की कोशिश की जा रही है।जिन गांवों में सफाई कर्मी नहीं हैं वहां टोलियां बनाकर सफाई कराई जाएगी।

 

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