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जाति-पाति के घोर विरोधी थे जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज : कृष्णचंद्र शास्त्री ठाकुरजी

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वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी में श्रीरामानंदीय वैष्णव सेवा ट्रस्ट के द्वारा चल रहे अनन्तश्री विभूषित श्रीरामानंदाचार्य महाराज के दस दिवसीय जयंती महामहोत्सव के दूसरे दिन प्रख्यात भागवताचार्य कृष्णचंद्र शास्त्री ठाकुरजी व आचार्य रामविलास चतुर्वेदी ने कहा जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज असंख्य सांसारिक जीवों का कल्याण करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। “अगस्त्य संहिता” में उन्हें भगवान श्रीराम का अवतार बताया गया है।वह जाति-पाति के घोर विरोधी थे।

महामंडलेश्वर सच्चिदानंद शास्त्री महाराज व महंत रामदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने सवर्णों के अलावा अंत्यजों को भी अपनी दीक्षा प्रदान की। संत कबीर व संत रैदास जैसे कई अंत्यज उनके शिष्य थे।उन्होंने अपनी स्वरचित साखियों में प्रभु से भी अधिक गुरु की महत्ता का बखान किया है।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व डॉ. अनूप शर्मा ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज ने हिन्दी व संस्कृत भाषा में कई ग्रंथों का प्रणयन किया है।जिसमें उन्होंने योग व निर्गुण भक्ति आदि का अद्भुत वर्णन है।

श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीनाभापीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं महंत अमरदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज का अवतरण 13 वीं व 14 वीं शताब्दी में यवनों के अत्याचारों से त्रस्त हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए हुआ था। क्योंकि यवन हिन्दू धर्म को निर्मूल करने के लिए हिन्दुओं पर अनेक प्रकार से अत्याचार कर रहे थे।उनके द्वारा मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया जा रहा था और गौवंश का वध हो रहा था।हिन्दू कन्याओं का अपहरण किया जा रहा था।स्वामीजी ने इन सभी दुष्कृत्यों का पुरजोर विरोध किया।

इस अवसर पर महंत रामानंदाचार्य महाराज,महंत राघवदास महाराज,महंत जगन्नाथदास शास्त्री, देवमुरारी बापू, डॉ. कृष्ण मुरारी, रामकृपालु दास भक्तमाली, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, भक्तिमती वृंदावनी शर्मा, रसिक शर्मा, भरत शर्मा, मोहन शर्मा, नंदकिशोर अग्रवाल, निखिल शास्त्री आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन संत राम संजीवन दास शास्त्री ने किया।

दोपहर में मथुरा के प्रख्यात श्रीसिद्ध विनायक रामलीला संस्थान द्वारा शिव पार्वती विवाह की लीला का स्वामी आनंद चतुर्वेदी के निर्देशन में अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।रात्रि में रासाचार्य स्वामी श्रीचंद्र शर्मा की रासमंडली के द्वारा रासलीला की अत्यंत मनोहारी प्रस्तुति दी गई। जिसका दर्शन देश के विभिन्न प्रांतों से आए असंख्य भक्त-श्रद्धालुओं ने किया I

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