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बहुमूल्य विभूति थे श्रीमहंत माखनचोर महाराज

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वृन्दावन।गोविंद घाट स्थित स्थित अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा (श्रीहित बड़ा रासमंडल) में चल रहे रसिक संत वैद्य भूषण श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज के 132 वें अष्टदिवसीय जन्म महामहोत्सव के अंतर्गत उनका जन्म दिवस अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया गया। संतों व विद्वानों एवं भक्तों-श्रद्धालुओं ने महाराज श्री के चित्रपट का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया।साथ ही राधावल्लभीय समाज मुखिया राकेश दुबे की मुखीयायी में मंगल बधाई समाज गायन हुआ।

इस अवसर पर आयोजित संत-विद्वत सम्मेलन में श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज व श्रीमहंत दंपति किशोर महाराज (काकाजी) ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज हितरस में पगे अत्यंत सौम्य व भजनानंदी संत थे।वह आयुर्वेद, व्याकरण व ज्योतिष आदि के प्रकांड विद्वान थे।वे सदैव प्रख्यात राधावल्लभीय संतों की वाणियों के पठन-पाठन व उनके अनुशीलन में लगे रहते थे। उन्होंने गुजराती भाषा में कई राधावल्लभीय ग्रंथों का अनुवाद किया।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व प्रमुख समाजसेवी पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय की बहुमूल्य विभूति थे।वे श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की नादवंश परम्परा के परम् रसिक संत थे।उनके द्वारा स्थापित सेवित श्रीहित रासमंडल राधावल्लभीय सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र है।

हिताश्रम के महंत हितकमल दास महाराज व श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज ने कहा कि श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे।वे सदैव भजनरत रहकर श्रीजी की लीलाओं की रसानुभूति किया करते थे।उन जैसी पुण्यात्माओं का अब युग ही समाप्त होता चला जा रहा है।
के. डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. रामकिशोर अग्रवाल व डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज ने समूचे देश में भ्रमण कर श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय का प्रचार- प्रसार किया।साथ ही अनेकों व्यक्तियों को दीक्षा देकर श्रीहित रासमंडल से जोड़ा।

महोत्सव में संत रसिकमाधव दास महाराज, महंत सुंदरदास महाराज, श्रीहित पुरुषोत्तमदास महाराज “हित पदरेणु”, डॉ. हरेकृष्ण शर्मा “शरद”,महामंडलेश्वर सच्चिदानंद शास्त्री,महंत लक्ष्मीनारायण शरण महाराज ,महंत संतदास महाराज,साध्वी हितप्रिया किंकरी,पंडित रमेश चंद्राचार्य महाराज,सेवक शरण महाराज, भागवताचार्य ललितवल्लभ नागार्च,पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, रासाचार्य देवेंद्र वशिष्ठ, इन्द्र शर्मा,महंत मधुमंगल शरण शुक्ल,संगीताचार्य पंडित देवकीनंदन शर्मा, पंडित रामगोपाल शास्त्री,आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,प्राचार्य डॉ. ब्रजकिशोर त्रिपाठी, प्रियाशरण शर्मा, राधावल्लभ वशिष्ठ, दिनेश सिंह तरकर,लालू शर्मा आदि की उपस्थिति विशेष रही।

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