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सारनाथ में बच्चों ने देखे स्तूप और टेराकोटा

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राजर्षि रणञ्जय सिंह ग्लोबल स्कूल (आरआरएसजीएस) के बच्चों को शुक्रवार को शैक्षिक भ्रमण पर सारनाथ ले जाया गया। वहां पर बच्चों ने स्तूपों, स्तम्भों और टेराकोटा को देखा और उनके विषय में जानकारी प्राप्त की।
ग्लोबल स्कूल के कक्षा 8, 9 तथा 10 के बच्चों को शैक्षिक भ्रमण सारनाथ ले जाया गया। बच्चों को गाइड ने बताया, कि सारनाथ का प्राचीन नाम ऋषिपत्तन था। प्राचीन काल में यहां पर सघन वन था और हिरन विहार किया करते थे। इस वजह से इसका नाम मृगदाय भी था। सारंगनाथ महादेव का मंदिर होने के कारण इसका नाम सारनाथ हो गया। वहां पर सर्वप्रथम बच्चों ने महात्मा बुद्ध के अवशेषों को संग्रहीत करके उनके ऊपर निर्मित धमेख स्तूप को देखा।


गाइड ने बताया कि, इस जगह पर ही सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने अपने प्रथम पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। धमेख स्तूप का निर्माण सर्वप्रथम सम्राट अशोक ने महात्मा बुद्ध के नाखूनों को संग्रहीत करके उनके ऊपर बनवाया था। कालांतर में कुषाण काल में उसका जीर्णोद्धार हुआ और गुप्तकाल में सारनाथ का काफी विकास हुआ। महमूद गजनवी के आक्रमण के पश्चात पाल वंश और गहड़वाल वंश के समय में इसके वैभव में बृद्धि हुई। इसके पश्चात ऐबक और बख्तियार खिलजी ने इसका विध्वंश कर दिया। 1835-36 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार के समय उत्खनन के पश्चात धमेख स्तूप, मनौती स्तूपों, शिलाओं तथा स्त्मभों की प्राप्ति हुई। यहीं पर अशोक ने चतुर्मुख सिंह स्तम्भ का भी निर्माण करवाया था, जो इस समय भारत का राजचिह्न है।
इसके पश्चात बच्चों ने धर्मराजिका स्तूप, मूलगंध कुटी, मनौती स्तूपों आदि का भ्रमण किया। बच्चों ने उत्खनन से प्राप्त अवशेषों को देखा और गाइड द्वारा उसके बारे में जानकारी भी प्राप्त की। इसके पश्चात बच्चों और शिक्षकों ने वहां पर ध्यान लगाया और धमेख स्तूप पर महात्मा बुद्ध के जीवन चरित्र, अशोक की कहानी और सारनाथ के उत्थान और पतन के बारे में लेजर शो देखा।
विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रवेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया, कि ऐसे भ्रमण शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति में पूर्ण रूपेण सहायक होते हैं। इस भ्रमण से बच्चे प्राचीन इतिहास और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करेंगे। बच्चों को प्राचीन तकनीक, धर्म और सभ्यता के साथ-साथ मौर्य, गुप्त और कुषाण कालीन संस्कृति और निर्माणकला की जानकारी प्राप्त होगी।
इस अवसर पर सोमेश्वर प्रताप सिंह, पूनम सिंह, पंकज सिंह, नवीन मिश्रा, धीरेन्द्र पाण्डेय, प्रीती मिश्रा, प्रिया सिंह, दीप्ति पाठक, वीर बहादुर, प्रियंका बरनवाल, शिवेन्द्र सिंह, पूजा सिंह, हर्षित सोनी, हिमांशु श्रीवास्तव, हिमांशु पाठक, रानी कुमारी, अभिजित त्रिपाठी, स्मिता शुक्ला, किरन ओझा, देवेन्द्र सिंह आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

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