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Allegation Of Fraud : एसबीआई क्रेडिट कार्ड के विवादास्पद बिल की शिकायत सीएम की जनसुनवाई पोर्टल में पंजीकृत 

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REPORT BY LOK REPORTER 

NEWS DESK LUCKNOW।

-पीड़ित ने लगाया आरोप कि फर्जी बिल के भुगतान के लिए वसूली गैंग कर रहा है आतंकित 

– साइबर अपराधियों और एसबीआई क्रेडिट कार्ड कंपनी की मिलीभगत आ रही है सामने 

– प्रथम दृष्टया पुलिस , साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 की अनदेखी हो रही है उजागर 

एक तरफ जहां देश व राज्य में डबल इंजन की सरकार सुशासन के दावे करते नहीं थकती है तो दूसरी ओर बैंकिंग – क्रेडिट कार्ड कंपनियों के फर्जीवाड़ों की इतनी कहानियां है जिससे चोरी – ठगी के आधुनिक तौर – तरीकों के स्वरूप का हैरतनाक दर्शन होता है। ऐसे ही एक प्रकरण उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरा नगर निवासी नैमिष प्रताप सिंह का है।

उन्होंने SBI क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट द्वारा फर्जी बिल भेजकर अवैध वसूली करने और पूर्व में साइबर क्राइम सेल / गाजीपुर थाने द्वारा साजिशन लापरवाही करने के नाते अपने खाते से 27 फरवरी 2024 को फर्जीवाड़ा करके निकाले गए रुपए के मामले में अभी तक FIR दर्ज न करने की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा स्थित कार्यालय में 28 फरवरी 2025 को प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करके त्वरित, निष्पक्ष वा सक्षम कार्रवाई करने के लिए उचित निर्देश देने की मांग किया हैं , जो आगे की कार्रवाई को लेकर प्रमुख सचिव ( गृह) को अग्रसारित कर दिया गया है।

आईये जाने क्या है फर्जीवाड़े पूरा मामला

मामला यह है नैमिष प्रताप सिंह के क्रेडिट कार्ड संख्या 4726424389243830 पर एसबीआई क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट द्वारा 12 जनवरी 2025 को जो बिल भेजा गया है , उसमें साफ – साफ लिखा है कि यह इनकी आखिरी किश्त है , इसके बावजूद पुन: 12 फरवरी 2025 को रु. 43741 का बिल भेज दिया गया जबकि इनका कहना है कि सभी 18 किश्तों का भुगतान किया जा चुका हूं और सभी किश्तें निर्धारित अवधि में जमा हुई है।

उन्होंने टोल फ्री नं. / सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘ X ’ ( एक्स) / ईमेल से जब इसकी शिकायत की तब एसबीआई क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट ने कई दिनों तक कोई सुनवाई नही किया। 12 फरवरी के बिल में इन्होंने किस मद में शिकायतकर्ता को इन रुपयों का बकायेदार बनाया है , इसे भी नही लिखा है जबकि इसके पूर्व के बिल में हर चार्ज का ब्यौरा दिया जाता था।

नैमिष प्रताप सिंह ने जब भी एसबीआई क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट से उन्हें फोन करने वालों और टोल फ्री नं. पर फोन करके कहा कि उन्हें लखनऊ आफ़िस के प्रतिनिधि अफसर का पता/ फोन न. उपलब्ध करवा दीजिए लेकिन इसे उन्हें नहीं दिया गया। हरियाणा राज्य के गुड़गांव इलाके में बैठकर संगठित ठगी कर रहे इन लोगों को जवाबदेह बनाया जाय , इसलिए ये लोग साजिशन लखनऊ के किसी अधिकारी का मोबाइल नं. उपलब्ध नहीं करवा रहे है।

उत्तर प्रदेश एक विशाल आबादी वाला राज्य है। जाहिर है कि इतनी बड़ी कंपनी अपनी शाखा यहां जरूर खोलेगी ,ऐसे में संबंधित अधिकारी का फोन नं. / पता बताने में इन्हें क्या और क्यों समस्या है ? अब पुलिस को एसबीआई क्रेडिट कार्ड के लखनऊ के प्रतिनिधि अफसर का कैसे मोबाइल नं. / पता दिया जाय जिससे क्रेडिट कार्ड के जरिए संगठित ठगी वालों वालों तक लखनऊ पुलिस पहुंचे।

जब इस फर्जी बिल को लेकर सोशल मीडिया एकाउंट ’ X ’( एक्स) पर पीड़ित नैमिष प्रताप सिंह ने अपनी शिकायत डाला तब ये लोग एक नया एसआरएन की संरचना कर देते है लेकिन करते कुछ नहीं है। एक ओर इन्होंने लखनऊ के अपने प्रतिनिधि अफसर का फोन नं. / पता नहीं दिया तो दूसरी तरफ कल पूरा दिन नैमिष प्रताप सिंह को फोन करके फर्जी बिल का भुगतान करने के लिए दबाव बनाते रहे,आतंक का तांडव करते रहे।

एक फोनकर्ता ने बताया कि अब उनका बिल रु. . 43741 से बढ़ाकर रु. 45000 कर दिया गया है और यदि जमा नहीं हुआ तो सिविल स्कोर खराब कर दिया जाएगा। क्या बिल में यह बढ़ोत्तरी बैंकिंग नियमों के अनुरूप है ?

धोखाधड़ी करके निकाले गए रुपए को लेकर नहीं दर्ज की गई थी एफआईआर 

नैमिष प्रताप सिंह का कहना है कि इसके पूर्व 27 फरवरी 2024 को एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड के जिम्मेदार ओहदेदारों की मिलीभगत से उनका रु.18360 निकाल लिया गया था। इसको लेकर उन्होंने कई बार टोल फ्री नं, ट्वीट, ईमेल के जरिए इस समस्या से क्रेडिट कार्ड डिपार्टमेंट को अवगत कराया लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।

हर बार केवल नया एसआर नं. पकड़ा देते थे और फिर इधर – उधर की बातें करके मामले को खत्म करना चाहते थे। शिकायतकर्ता का कहना है कि यह रु. 18360 बैगलोर में खर्च होना दिखाया गया है। उन्होंने बार – बार कहा कि जिस भी गुगल पे – पेटीएम पर उनका रु. 18360 ट्रांसफर हुआ है , उसका विवरण उन्हें उपलब्ध कराया जाय।

कोई गुगल पे – पेटीएम खाता बिना फोन नं. / बैंक एकाउंट नं. के बन ही नहीं सकता है तब आखिरकार एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड को जिस भी गुगल पे – पेटीएम पर उनका रु. 18360 ट्रांसफर हुआ है ,उसका विवरण देने में क्या समस्या है। उ

नका दावा है कि चूंकि यह रु. 18360 , जो उनके क्रेडिट कार्ड से निकला है, वह साइबर अपराधियों और एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड की मिलीभगत का दुष्परिणाम है इसलिए जिस खाते में उनका रु.18360 का भुगतान हुआ है , उसका विवरण साजिशन नहीं दिया गया।

एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड ने जब फर्जीवाड़ा करके नैमिष प्रताप सिंह का पैसा निकाले जाने की समस्या की अनदेखी किया तो उन्होंने पिछले वर्ष पुलिस आयुक्त को ईमेल के जरिए प्रार्थनापत्र भेजा , जो साइबर क्राइम सेल हजरतगंज में भेज दिया गया। 02 अप्रैल 2024 को वहां पहुंचकर नैमिष प्रताप सिंह ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया , जिसके बाद उनका प्रार्थनापत्र ले लिया गया , जिसकी क्रमांक संख्या उन्हें 2162/ 24 बताया गया। साइबर क्राइम सेल द्वारा उनसे कहा गया कि हम अपनी जांच – पड़ताल करेंगे लेकिन आप अपने संबंधित थाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवा दीजिए।

इसके बाद 08 मई 2024 को नैमिष प्रताप सिंह ने गाजीपुर थाने पर जाकर प्रभारी निरीक्षक की मौजूदगी न होने पर दिवस अधिकारी के समक्ष प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया , जिस पर उन्होंने कहा कि इसे सर्वोदय नगर पुलिस चौकी को जांच के लिए भेज दिया जाएगा, जहां से उन्हें फोन आएगा लेकिन 10 महीने बीतने के बाद आज तक उन्हें कोई फोन नहीं आया।

इस दौरान शिकायतकर्ता ने साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर भी फोन किया तो उन्होंने कहा कि जब तक थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं दर्ज होगी तब तक कोई सुनवाई नहीं होगी। जब शिकायतकर्ता की कहीं से रु. 18360 की ठगी को लेकर कोई सुनवाई नहीं हुई तो अगले बिल में जब रु. 18360 जुड़कर आया तब उन्होंने इसका पूर्ण भुगतान कर दिया।

नैमिष प्रताप सिंह का दावा है कि एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड ने लगभग प्रत्येक माह निर्धारित किश्त रु. 5839.51 से अधिक का बिल भेजा है , जिसका भी उन्होंने समय से भुगतान किया है और इस ठगी को लेकर भी उनकी कोई शिकायत इन लोगों के द्वारा नहीं सुनी गई , टोल फ्री नं. पर फोन करने पर केवल इधर – उधर की बातों से उन्हें बहलाया गया।

पीड़ित शिकायतकर्ता ने कहा कि एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड की समस्त किश्तें समयानुसार जमा किया गया है। उन्होंने कहा कि इस क्रेडिट कार्ड के अलावा या किसी अन्य क्रेडिट कॉर्ड , गाड़ी आदि किसी भी अन्य लोन की कभी भी कोई एक भी किश्त के भुगतान में उनसे कोई देरी भी नहीं हुई है। उनका पूरे जीवन में कोई एक भी चेक बाउंस नहीं हुआ है , इन्हीं कारणों से उनका सिविल स्कोर हमेशा अच्छा रहता है।

शिकायतकर्ता – नैमिष प्रताप सिंह

उन्होंने बताया कि एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड का क्रेडिट कार्ड उन्हें यूको बैंक की गोमती नगर शाखा में जहां उनका बचत खाता है , वहां लेन – देंन का रिकॉर्ड अच्छा बताकर बनाया गया था अर्थात ठगी की पृष्ठभूमि गोमतीनगर के यूको बैंक परिसर में तैयार हुई।

सवाल यह है कि क्या साजिशन फर्जी बिल भेजने के लिए जिम्मेदार मैनेजर – कस्टमर केयर सर्विस / सक्षम अधिकारी , एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड,डीएलएफ इंफिनिटी टावर्स, टावर सी, 12 वीं मंजिल, ब्लाक 2,बिल्डिंग 3, डीएलएफ साइबर सिटी ,गुड़गांव – 122002 हरियाणा के खिलाफ लखनऊ पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेगी ?

क्या एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड द्वारा अपने लखनऊ के प्रतिनिधि अफसर का पीड़ित शिकायतकर्ता का कोई मोबाइल नं. / पता देने के बजाय उनका मो. नं. ‘ वसूली गैंग ’ को पकड़ा दिया है जिसने कल पूरा दिन उन्हें फोन कर – करके फर्जी बिल के अवैध वसूली करने का दबाव बनाया जाता रहा। अब क्या वसूली गैंग के खिलाफ नैमिष प्रताप सिंह को साजिशन प्रताड़ित करने के मामले में लखनऊ पुलिस प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करेगी ?

क्या 02 अप्रैल 2024 को साइबर क्राइम सेल , हजरतगंज और 08 मई 2024 को गाजीपुर थाने पर एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज लिमिटेड द्वारा नैमिष प्रताप सिंह के साथ की गई ठगी के शिकायत की जो अनदेखी की गई , उनकी प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं लिखी गई , क्या उसके लिए साइबर क्राइम सेल / गाजीपुर थाने की पुलिस का कोई उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी ?

 

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