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UNIQUE RITUALS : उत्तराखंड की अनोखी हैं ये रस्में, इन्हे कैसे निभाते हैं !

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PRESENTED BY LOK REPORTER 

भारतीय शादियां विभिन्न प्रकार की अनेक अनोखी परम्पराओं के लिए जानी जाती है। इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी कई खास रस्मे निभाई जाती है। यहाँ तेल रस्म और तेल बाण भी अनोखे रस्मों में शामिल हैं।

क्या है “तेल रस्म ” (Tel Rasm)

उत्तराखंड के पारंपरिक विवाह समारोहों में “तेल रस्म ” (Tel Rasm) एक महत्वपूर्ण और शुभ अनुष्ठान है। यह रस्म विवाह के कुछ दिन पहले या विवाह के दिन होती है और इसे अलग-अलग समुदायों में भिन्न-भिन्न तरीकों से किया जाता है।

उत्तराखंड में विवाह से पहले ‘तेल’ की रस्म एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें दूल्हा और दुल्हन को तेल और पानी चढ़ाया जाता है। इस रस्म के दौरान, घर के आंगन में एक सादा चौक बनाया जाता है, जहां दूल्हा और दुल्हन को बैठाया जाता है। परिवार की महिलाएं तेल और पानी मिलाकर उन्हें चढ़ाती हैं और ढोलक की धुन पर गीत गाती हैं।

तेल रस्म का महत्व

यह रस्म दूल्हा और दुल्हन दोनों के लिए की जाती है और इसका उद्देश्य नवदंपति के जीवन में सुख-समृद्धि और शुद्धता लाना होता है। इसे सौंदर्य और पवित्रता बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि शादी के दिन वे अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में दिखें।

तेल रस्म की प्रक्रिया

गाय के गोबर से मंडप सजाना – सबसे पहले घर के आंगन या किसी शुभ स्थान पर मंडप बनाया जाता है, जिसे गाय के गोबर से लीपा जाता है और आम के पत्तों से सजाया जाता है।

दूल्हा/दुल्हन को पीढ़े पर बैठाना – दूल्हा या दुल्हन को एक लकड़ी के पीढ़े (पट्टे) पर बैठाया जाता है।

तेल और उबटन लगाना – परिवार की बुजुर्ग महिलाएँ और अन्य रिश्तेदार हल्दी, सरसों का तेल और अन्य उबटन मिश्रित लेप को उनके शरीर पर लगाते हैं। यह त्वचा को चमकदार बनाने और बुरी नजर से बचाने के लिए किया जाता है।

अन्य पारंपरिक रीति-रिवाज – इस दौरान मंगल गीत गाए जाते हैं, और हंसी-मजाक का माहौल रहता है। कुछ समुदायों में तेल रस्म के बाद दूल्हा/दुल्हन को नहलाने की भी परंपरा होती है।

शुभकामनाएँ और आशीर्वाद – रस्म पूरी होने के बाद घर के बड़े-बुजुर्ग आशीर्वाद देते हैं और शादी के शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

 जानिए क्या है “तेल बाण” (TEL BAN)

उत्तराखंड की शादियों में निभाई जाने वाली तेल बाण रस्म दुल्हन का अपने पैतृक घर से पति के घर में प्रवेश का प्रतीक है। उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यन्त्रों की ताल एवं लोकगीतों की मधुर धुन पर दुल्हन को विदा किया जाता है और सभी लोगों को आशीर्वाद देते हैं।

दुल्हन का मामा टोकरी में जाना 

तेल बाण की रस्म में दुल्हन का मामा मुख्य भूमिका में होता है। वो अपनी दुल्हन भांजी को बांस से बनी टोकरी में बैठा कर पीठ पर लाद करके चलता है। इस रस्म में भांजी के प्रति मामा का प्यार और समर्थन दर्शाता है। मामा का रस्म भांजी के वैवाहिक जीवन के नई यात्रा की सुन्दर शुरुआत है।

दुल्हन को हल्दी तेल का श्रृंगार

तेल बाण रस्म में दुल्हन को हल्दी का उबटन और तेल लगाया जाता है। ये रस्म घनिष्ठ पारिवारिक रस्म बंधन और दुल्हन के जीवन में मामा का महत्व दर्शाता है।

तेल बाण का सांस्कृतिक महत्व

यह रस्म नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए की जाती है। इस रस्म में दूल्हा और दुल्हन की सौंदर्य और स्वास्थ्य वृद्धि के लिए इसका विशेष महत्व होता है।

यह पारिवारिक एकता और खुशी का प्रतीक होती है, क्योंकि इस दौरान सभी परिवारजन एकत्र होकर उत्सव मनाते हैं। उत्तराखंड में यह रस्म कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में होती है, हालांकि हर समुदाय के अनुसार इसमें कुछ भिन्नताएँ हो सकती हैं।

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