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ARTICLE : सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करे सरकार

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PRESENTED BY ARVIND JAYTILAK 

 

भारत एक लोकतांत्रिक व कल्याणकारी राज्य है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराए। निःसंदेह सरकार द्वारा अपने नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की ढे़रों योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। लेकिन बढ़ती जनसंख्या के कारण इसे विस्तार देने की जरुरत है। सामाजिक सुरक्षा का अभिप्राय ऐसी सभी सेवाओं, साधनों और सुविधाओं से हैं जो नागरिकों को दी जाती है जिससे उनका जीवन स्तर बेहतर होता है। सामाजिक सुरक्षा श्रम कल्याण का एक मुख्य संघटक है और उसे निरंतर विकास प्रक्रिया के एक अंग के रुप में देखा जाता है। सामाजिक सुरक्षा वैश्वीकरण और उसके कारण होने वाले संरचनात्मक और तकनीकी परिवर्तनों से उपजी चुनौतियों से निपटने में अधिक सकारात्मक रवैए के निर्माण में सहायता प्रदान करती है।

सामाजिक सुरक्षा में यह परिकल्पना की जाती है कि नागरिकों को सभी प्रकार के सामाजिक जोखिमों से रक्षा की जाएगी जो उनकी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति में अनावश्यक मुश्किलें उत्पन करती हैं। यह सच्चाई है कि कर्मगारों के पास बीमारी, दुर्घटना, वृद्धावस्था, रोग और बेरोजगार आदि के कारण उत्पन जोखिमों का सामना करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं होता है और संकट के समय में उनकी सहायता करने के लिए जीविका का वैकल्पिक साधन का अभाव होता है। इसलिए कर्मगारों को सामाजिक सुरक्षा देना राज्य का दायित्व है। 19 वीं शताब्दी के अंत तक अधिकांश राज्य अपने को पुलिस राज्य रखकर ही संतुष्ट थे। उनका मुख्य काम शांति व व्यवस्था कायम रखना था।

वे सामाजिक सुरक्षा का कार्य व्यक्तियों और व्यक्तियों के समूहों के जिम्मे छोड़ रखे थे। लेकिन धीरे-धीरे राज्य के स्वभाव में बुनियादी बदलाव आया और उसकी प्राथमिकता में सामाजिक सुरक्षा की औपचारिक व्यवस्था शीर्ष पर हो गयी। लॉयड जार्ज के प्रथम मंत्रित्व काल में इंग्लैंड की सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के तहत सामाजिक बीमा चालू किया जिसके तहत बुढे़, अवकाश प्राप्त व्यक्ति, विधवाएं और बेरोजगार लाभ उठाते हैं। इस योजना के अंतर्गत स्कूल में बच्चों को दूध देने, गर्भवती और दूध पिलाने वाली महिलाओं को दूध और विशेष भोजन देने, निःशुल्क डॉक्टरी सहायता और निःशुल्क माध्यमिक शिक्षा और उच्चतर शिक्षा के लिए अच्छी छात्रवृत्तियों की व्यवस्थाएं की गयी हैं।

गौर करें तो संपूर्ण यूरोपीय देशों में विस्तृत सामाजिक सुरक्षा लागू है। संयुक्त राज्य अमेरिका में भी जनता को लाभ पहुंचाने संबंधी विस्तृत सामाजिक सुरक्षा योजनाएं चालू हैं। भारतीय संदर्भ में सामाजिक सुरक्षा एक समग्र अधिगम है जिसका निर्माण व्यक्ति को आर्थिक अभाव से बचाने और व्यक्ति के खुद के लिए तथा उसके आश्रितों के लिए, उन्हें आर्थिक अनिश्चितता की स्थिति से बचाने हेतु एक न्यूनतम आय की सुनिश्चितता के लिए किया गया है। यह तथ्य भारत के नीति-नियंताओं द्वारा पहचाना गया और तद्नुसार सामाजिक सुरक्षा से संबंद्ध विषयों को राज्य के नीति-निर्देशक तत्व और समवर्ती सूची में संबंद्ध किया गया।

राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 41 में कार्य के अधिकार शिक्षा और कुछ मामलों में सार्वजनिक सहायता की व्यवस्था की गयी है। अनुच्छेद 42 में कार्य की उचित और मानवीय परिस्थिति और मातृत्व राहत की व्यवस्था की गयी है। भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में भी सामाजिक सुरक्षा और बीमा, रोजगार और बेरोजगार, कार्य परिस्थिति, भविष्यनिधियां, नियोक्ताओं का दायित्व, कर्मगारों की क्षतिपूर्ति अवैधता, श्रम कल्याण, वृद्धावस्था पेंशन और मातृत्व लाभ का उल्लेख है। भारत में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एक सामाजिक सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की है जो कर्मगार सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सभी कानूनों के प्रशासन के लिए सामाजिक सुरक्षा नीति एवं योजनाएं बनाने और क्रियान्वित करने का कार्य करता है।

भारत में ढेरो सामाजिक सुरक्षा कानून लागू है मसलन कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 (ईएसआई एक्ट), कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम 1923 (डब्लयूसी एक्ट),कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 (ईपीडीएंडएमपी एक्ट), प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम 1961 (एमबी एक्ट), ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 (पीजी एक्ट), वैयक्ति क्षति (आपात उपलब्ध) अधिनियम 1962, वैयक्तिक क्षति (प्रतिकर बीमा) अधिनियम 1963 और नियोजक दायित्व अधिनियम 1938 इत्यादि। सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आज देश में पोषण सुरक्षा की देखभाल राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, समन्वित बाल विकास योजना, किशोरी शक्ति योजना, किशोर लड़कियों के लिए पोषण कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना चलायी जा रही है। राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम लगभग पूरे भारत में चल रहा है।

समन्वित बाल विकास योजना का विस्तार भी चरणबद्ध ढंग से हो रहा है। 11 से 18 वर्ष तक की उम्र की लड़कियों के पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी विकास के लिए सरकार ने किशोरी शक्ति विकास योजना को हर जगह लागू कर दिया है। एक अरसे से श्रम आंदोलन के तहत सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम लागू करने की मांग की जाती रही जिसे सरकार ने 2005 के मध्य में लागू कर दिया। इस अधिनियम के तहत कोई भी वयस्क व्यक्ति जो न्यूनतम मजदूरी पर आकस्मिक श्रम करने के लिए इच्छुक है वह 15 दिनों के अंदर स्थानीय जनकार्य में रोजगार पाने के लिए पात्र होगा। इसके अंतर्गत लोगों को वर्ष में उसके निवास से एक किमी के भीतर 100 दिनों का काम दिए जाने का प्रावधान लागू किया गया है। हालांकि इस योजना में काफी भ्रष्टाचार की बात उठती है फिर भी सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से यह योजना प्रभावकारी साबित हुआ है।

सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अंत्योदय अन्य योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है। राज्यों के अंतरगत लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत पहचान किए गए गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों में से, अत्यंत ही गरीब परिवारों की पहचान करने का कार्य अंत्योदय योजना के तहत किया गया है। इन परिवारों को गेहूं और चावल दिया जाता है। सामाजिक सुरक्षा के तहत रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन रणनीति के तहत सरकार द्वारा स्वरोजगार योजना और दिहाड़ी रोजगार योजना चलाया जा रहा है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को संशोधित कर लघु एवं ग्रामीण उद्योगों के जरिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन करने के लिए सुनिश्चित किया गया है। असंगठित क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा से लैस करने के लिए राश्ट्रीय उद्यम आयोग की स्थापना एक पारदर्शी निकाय के रुप में की गयी है। सामाजिक सुरक्षा के तहत भारत सरकार ने राष्ट्रीय आवास नीति 1992 संसद में प्रस्तुत की।

अगस्त 1994 में संसद ने इसका अनुमोदन कर दिया। राष्ट्रीय आवास नीति का प्रमुख लक्ष्य आवासहीन व्यक्तियों, विस्थापितों, निराश्रित महिलाओं, अनुसूचित जनजातियों और आर्थिक रुप से कमजोर व्यक्तियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए वातावरण निर्मित करना तथा सुविधाएं उपलब्ध कराना है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा 4 करोड़ से अधिक लोगों को आवास उपलब्ध कराया गया है। आने वाले दिनों में 3 करोड़ और आवास निर्मित करने का लक्ष्य सुनिश्चिति किया गया है। इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत आवास निर्माण के लिए सरकार द्वारा ऐसे लोगों को सहायता दिया जाता है जिनका मुखिया विधवा, अविवाहित महिलाएं, विकलांग अथवा शरणार्थी हैं या जो अत्याचारों अथवा प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं या जो परिवार विकास योजनाओं से विस्थापित या खानाबदोश हैं।

सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा असंगठित ग्रुप बीमा योजना, वन बंधु कल्याण योजना, अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्व विकास योजना, विकलांगों के लिए योजना, जनश्री बीमा योजना, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना और राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजन चलायी जा रही हैं। सामाजिक सुरक्षा के तहत ही समाज के कमजोर वर्गों को कानूनी सहायता देने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन किया गया है। यह प्राधिकरण देश भर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और स्कीमें लागू करने के लिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पर दिशा निर्देश जारी करता है।

सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना शुभारंभ की है जिसका उद्देश्य लाभकारी योजनाओं तक निर्धनों और सीमांत लोगों को पहुंचने में सक्षम बनाना है। लोगों का स्वास्थ्य रहे इसके लिए सरकार आयुष्मान योजना को लागू की है जो गरीबों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। निश्चित रुप से सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से सामाजिक सुरक्षा मजबूत हुई है। बेहतर होगा कि सरकार सामाजिक सुरक्षा का दायरा का विस्तार करे जिससे सर्वाधिक नागरिकों का कल्याण हो।

 

 

 

 

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