क्रिटिकल पल्मोनरी स्ट्रेनासिस से पीड़ित मरीज की जटिल सर्जरी , मरीज को मिला नया जीवन
1 min readREPORT BY AMIT CHAWLA
LUCKNOW NEWS I
विवेकानन्द पॉलीक्लिनिक एवं आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के कार्डियोलॉजी टीम ने एक चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम देते हुए बच्ची इसिता जिसकी उम्र 12 वर्ष का जीवन बचाने में सफल हुए यह बच्ची जन्मजात हृदय विकार से ग्रसित थी जिसके कारण वह न तो सामान्य बच्चों की तरह अपने दोस्तों के साथ खेल नही पाती थी और न ही स्कूल जा पाती थी जिसके उपचार हेतु उसके परिजन शहर के कई अस्पतालों में सम्पर्क कर परामर्श लिया परन्तु समस्या जस की तस बनी रही।
तदोपरान्त मरीज के परिजनों ने अपनी बच्ची को विवेकानन्द अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में दिखाया तो संस्थान के हृदय विशेषज्ञ द्वारा मरीज का टूडी-इको किया गया जिससे पता चला की मरीज एक गंभीर बिमारी ट्रेट्रोलॉजी ऑफ फेलो विथ क्रिटिकल पल्मोनरी स्ट्रेनासिस से पीड़ित थी। जिसके कारण मरीज का साफ और गंदा खून मिश्रित हो जाता था नया खून साफ होने के लिए फेंफड़ों मे जाने वाला रास्ता पतला (सकरा) हो जाता था इस मरीज में यह रास्ता बिल्कुल बंद होने के कगार पर था।
बिमारी की गंम्भीरता और चुनौती को देखते हुए संस्थान के हृदय शल्य चिकित्सक डा. अरविन्द कुमार वर्मा व क्रिटिकल केयर के हेड डा0 राजीव गुप्ता व उनकी पैरामेडिकल एव सहायेगी टीम ने मरीज की शल्य क्रिया करने का निर्णय लिया। शल्य क्रिया के पहले सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि मरीज को बेहोश करके हार्टलंग मशीन पर ले जाने से पहले कोई अप्रिय घटना न घट जाये, परन्तु इन सम्बन्धित समस्याओं को ध्यान में रखते हुए बड़ी सावधानीपूर्वक प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
यह जटील सर्जरी लगभग 5 घण्टों तक चली और कार्डियक और क्रिटिकलकेयर टीम ने मरीज के छिद्र को सफलतापूर्वक बंद कर दिया। सर्जरी के पश्चात मरीज को कुछ समय कृतिम श्वसन प्रणाली (वेंटिलेटर) पर रखा गया और बाद में एक्सटुबेट कर दिया गया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और दो तीन दिनों में उसकी छुट्टी कर दी जायेगी।
संस्थान के सचिव स्वामी मुक्तिनाथानन्द ने मरीज के सफल आपरेशन पर संस्थान के चिकित्सकों एवं उनकी टीम को बधाई दी और साथ ही साथ यही भी बताया कि अस्पताल मरीजों के उपचार में हमेशा अपना महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा।
डा0 अरविन्द कुमार वर्मा, हृदय शल्य चिकित्सक – चुनौती कठिन थी परन्तु स्वामी विवेकानन्दजी के आर्शीवाद से कठिन शल्यक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इसके साथ ही स्वामी मुक्तिनाथानंद जी की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि स्वामी जी ने अपने चिकित्सकों व उनके टीम पर विश्वास करते हुए इस शल्यक्रिया को अंजाम देने की अनुमति दी।
क्रिटिकल केयर के हेड डा0 राजीव गुप्ता – मरीज की बीमारी को देखते हुए बेहोशी देने में काफी जोखिम था परन्तु स्वामीजी के आर्शीवाद से सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गयी।