संवत्सरी महापर्व___________ संवत्सरी है ,जागरण का पर्व
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PRESENTED BY PRADEEP CHHAJER
BORAVAR RAJSTHAN।
आत्म जागरण का एक महान संदेश लेकर आता है संवत्सरी महापर्व । यह संवत्सरी महापर्व जिससे होते हैं हमे अपनी इस
अंतर आत्मा के दर्शन क्षण-क्षण । आत्मोत्थान व सही से आत्म साक्षात्कार करने का सचमुच यह एक सुखद पर्व है ।इसलिए इस पर हमें सात्विक गर्व है । आत्मा पर लगे मैल की हो जाती धुलाई, आत्म-निमज्जन से हो जाती पूरी सफाई।
यह हमें सही से आत्मरमण के दृश्य दिखलाता है और अपनी वर्ष भर की सब भूलों के परिमार्जन करने की पद्धति सिखलाता है।संवत्सरी एक महान पर्व है । संवत्सरी है ,जागरण का पर्व। किससे जागें उठ्ठिए णो पमाइए ।संवत्सरी है ,अवलोकन का पर्व ।किसका , कैसे अवलोकन ? आत्मावलोकन ।संवत्सरी है, झुकने का पर्व । किसके आगे ?
अपने द्वारा मन वचन काय से पीड़ीत किये गए प्राणियों के आगे ।संवत्सरी है ,नई योजनाओं का पर्व ।किसकी योजना ? भाव शुद्धि से भव शुद्धि की योजना ।संवत्सरी है भीतर की शक्तियों को जगाने का पर्व।कौनसी शक्तियां ? चेतना के उर्ध्वारोहण की शक्तियां ।संवत्सरी है , संकोचन का पर्व ।किसका संकोचन ? अपनी वृति जिससे पाप का बंधन होता है उसका संकोचन ।संवत्सरी है ,स्वतंत्र बनने का पर्व ।किससे स्वतंत्र ?
कषायों से स्वतंत्र ।संवत्सरी है ,प्रस्थान करने का पर्व ।किस ओर ? योग से अयोग की ओर ।संवत्सरी पर्व है क्षमा का।
किससे ? क्षमा मांगना और क्षमा प्रदान करना एक दूसरे से ।और तो और संवत्सरी है, रमण करने का पर्व ।कहाँ ? आत्म रमण । अतः संवत्सरी पर्व ही नहीं महापर्व है ।
संवत्सरी महापर्व अपनी आत्मशक्ति, कर्मों की निर्जरा आदि से मानव जीवन को सार्थक करने का स्वर्णिम अवसर है ।
प्रदीप छाजेड़
( बोंरावड़ )