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पड़ताल: नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं विद्यालय के शिक्षक

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बहराइच। विकास खण्ड नवाबगंज क्षेत्र के अधिकतर परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक समय से नहीं पहुंच रहे हैं। जिससे नौनिहालो की पढ़ाई चौपट हो रही है। बताया जाता है कि एक तरफ जहां उत्तर-प्रदेश सरकार नौनिहालों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रत्येक विद्यालय पर प्रतिमाह लाखों रुपये खर्च कर प्राथमिक शिक्षा की सेहत सुधारने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षक विद्यालय न आकर नौनिहालों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ करते नजर आ रहे हैं।

कुछ शिक्षक समय से विद्यालय पहुंचते ही नहीं तो कुछ कक्षा में जाने से कतराते है। ऐसे में सरकार की सोच पर पानी फिरता नजर आ रहा है। यही कारण है कि सरकारी विद्यालयों से बच्चों का मोहभंग होता नजर आ रहा है। इस लिए अधिक तर अभिभावक अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में पढ़ाने को मजबूर हैं। शुक्रवार को स्थानीय पत्रकार ने जब विकास खंड नवाबगंज क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों की पड़ताल की तो नजारा कुछ इस तरह उभर कर सामने आया।

संविलियन विद्यालय सुजौली में जब समय लगभग 11:00 बजे पत्रकार पहुंचा तो यहां बच्चे विद्यालय परिसर में इधर उधर घूमते हुये नजर आये। विद्यालय में कुल 263 बच्चे पंजीकृत बताये गये। जिसमें से 160 बच्चे उपस्थित मिले। जबकि 5 की संख्या में शिक्षक तैनात हैं। लेकिन शिक्षामित्र के साथ मात्र 01 सहायक अध्यापक ही मौजूद मिले।

वहीं जब बच्चों व उनके अभिभावकों से बात की गयी, तो बताया कि जो सर जी आज नही हैं, वह लगभग एक सप्ताह पूर्व विद्यालय आये हुये थे और इसी तरह उनका विद्यालय में आना जाना लगा रहता है, शिक्षा विभाग में बराबर शिकायत की जाती है। लेकिन कोई अंकुश नही लग पा रहा है। जब कोई पत्रकार सूचना पर आ भी जाता है, तो कोई लिखा पढ़ी न हो जाये छुट्टियां दर्शा दी जाती हैं।

संविलियन विद्यालय चनैनी में 05 अध्यापकों में 02 सहायक अध्यापक व 01 शिक्षामित्र उपस्थित मिले। विद्यालय में छात्रों की संख्या तो 300 है, लेकिन मौजूद केवल 151 ही मिले वहीं कुछ खेलते नजर आये। विद्यालय परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ था। प्राथमिक विद्यालय पुरैनी में 4 अध्यापक तैनात हैं। जिसमे 01 शिक्षामित्र व 2 सहायक अध्यापक उपस्थित रहे।

विद्यालय में कुल 101 बच्चे पंजीकृत है, लेकिन मौके पर केवल 75 बच्चे ही उपस्थित मिले। अब सवाल यह उठता है कि, सरकार द्वारा इन प्रत्येक विद्यालययों पर लाखों रुपये प्रतिमाह खर्च तो कर रही है। लेकिन सम्बंधित जिम्मेदार विभाग यूं ही सरकार की मंशा पर पानी फेरने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

जब बच्चों की उच्च कोटि शिक्षा हेतु कटिबद्ध सरकार बच्चों की संख्यानुपात अध्यापकों की नियुक्ति कर रखी है, तो आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही का जिम्मेदार कौन होगा ? अध्यापकों की छुट्टी स्वीकृत नियमों को भी ताक पर रख दिया गया, यदि स्कूल भी बंद रहे, तो भी विभाग इतना बेपरवाह हो चला है, कि इनके सेहत पर कुछ भी नही फरक पड़ने वाला है।

रिपोर्ट- अब्दुल खबीर ( बहराइच, यूपी)

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