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परिवहन निगम अमेठी के कर्मचारियों ने सीखे तनाव प्रबंधन के मंत्र

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अमेठी।
सोमवार की सुबह उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम अमेठी के कर्मचारियों की कार्य क्षमता को बेहतर बनाने के उद्देश्य से व्यक्तित्व परिष्कार कार्यशाला का आयोजन हुआ। “तनाव- कारण और निवारण” विषय पर मोटिवशनल स्पीकर डॉ० प्रवीण सिंह दीपक ने अपने विचार और अनुभव साझा किए। अमेठी बस स्टेशन के अतिथि गृह के हाल में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत ए आर एम देवेंद्र गर्ग के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व देव पूजन के साथ हुई।
डॉ० दीपक ने तनाव पर चर्चा करते हुए कहा कि तनाव जीवन का अभिन्न अंग है तनाव से बचा तो नहीं जा सकता लेकिन तनाव का कैसे सामना किया जाय यह जरूर सीखा जा सकता है। परम् पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं, वह उनका नियंत्रणकर्ता और स्वामी है। परिस्थितियां कैसी भी हों मनुष्य के अंदर वो सामर्थ्य है कि वो अपने पुरुषार्थ के बल पर बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर उन पर विजय प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि रोडवेज के कर्मचारी प्रतिदिन हजारों लोगों को सुलभ, सरल और सुरक्षित आवागमन की सुविधा मुहैया करा कर हैं ये एक महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी है और इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र है। किंतु बस में ड्राइवर की सीट पर बैठने से पहले अपने सारे तनाव को आपको किनारे रखना होगा तभी इस ज़िम्मेदारी को आप अच्छे से निभा पाएंगे।
डॉ० सिंह ने रोडवेज कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन के 5 मंत्र भी दिए। पहला मंत्र रोज सुबह उठते ही ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापित करें और इसे अपनी आदत बना लें, यही आभार का भाव ही व्यक्ति को ईश्वर की कृपा का पात्र बनाता है। दूसरा मंत्र अच्छे व्यक्तियों की संगत में रहे, अच्छी पुस्तकें पढ़े जिसका सकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। तीसरा मंत्र हमेशा सकारात्मक सोचे जब कभी भी नकारात्मक विचार आये तो उसे सकारात्मक विचार से बदलने का प्रयास करे। चौथा मंत्र नशे से दूर रहे क्योंकि नशा बर्बादी का रास्ता है जो व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, पारिवारिक, सामाजिक पतन का कारक है। पांचवा मंत्र स्वस्थ शरीर स्वस्थ मन के लिए नियमित ध्यान और व्यायाम करें।
इसके पूर्व गायत्री शक्तिपीठ के परिव्राजक इंद्रदेव ने प्रज्ञा गीत ‘मानव जीवन इस जगती का सर्वोत्तम उपहार’ के माध्यम से सभी को श्रेष्ठ जीवन जीने की प्रेरणा दी।
अंत में देवेंद्र गर्ग ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गायत्री परिवार व्यक्तित्व परिष्कार की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है जिसकी आज महती आवश्यकता है। उन्होंने अपने कर्मचारियों को डॉ० सिंह के द्वारा बताए गए तनाव प्रबंधन के तरीकों का पालन करते हुए अपनी कार्य क्षमता को बेहतर करते हुए प्रसन्नता के साथ अपनी ज़िमेदारी निभाने की बात कही।

 

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