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मौसम की बेरुखी से बढ़ा सूखे का खतरा, नहीं हुई बारिश तो बर्बाद हो जाएंगे किसान

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अंबेडकरनगर I
एक कहावत है कि अषाढ़ में किसान चूक गया तो फिर उसे किसानी संवारना मुश्किल एक तरफ जहां पहाड़ी इलाकों में लगातार बारिश हो रही है और लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल सहित कई इलाकों में मौसम की बेरुखी से किसान बेहाल हैं. पूर्वांचल में बारिश नहीं होने से धान की फसल प्रभावित हो रही है और अब तो किसानों को सूखे के आसार नजर आने लगे हैं.जिले में मौसम इस कदर रूठ गया है कि बादल उमड़ने-घुमड़ने के बाद बिना बरसे वापस लौट जा रहे हैं.

एक सप्ताह से बारिश नहीं होने से धान की पौधे सूखने लगी हैं. वहीं गर्मी से लोग व्याकुल हो रहे हैं. लोगों ने कहा कि सावन में बारिश की फुहार की बजाए चिलचिलाती धूप लोगों को सता रही है.समय से सूरज निकल आए. बाद में कुछ बदली हुई. लोगों को लगा कि बारिश होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पूरे दिन धूप-छांव का खेल चलता रहा, लेकिन लोग बारिश की बूंद के लिए तरसते रहे. लोग चिपचिपी गर्मी व उमस से बेहाल नजर आए.

दिन में कभी-कभी इतनी तेज धूप हुए कि लोग सिर को ढंककर निकलते दिखे. कृषि विभाग के अनुसार जिले में अभी तक IMD, लखनऊ के रिपोर्ट के अनुसार 02 अगस्त तक की सामान्य वर्षा 430.80 mm, वास्तव मे प्राप्त हुयी वर्षा 328.70 mm, (76.30%) है. जबकि मौसम विभाग के अनुसार जुलाई माह में औसतन वर्षा 330 मिमी होनी चाहिए.

एक सप्ताह से बारिश नहीं होने से धान के पौधे सूख रहे. किसान बादल की ओर बारिश के लिए टकटकी लगाए हुए हैं. फसल को बचाने के लिए निजी साधन से किसान सिंचाई शुरू कर दिए हैं.
जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय का कहना है कि खेतों में अभी नमी है. यदि बारिश नहीं हुई तो किसानों को सिंचाई करनी पड़ेगी.गांव के किसान बहरैची ने बताया कि वर्तमान में डीजल 90 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. एक बीघा खेत की सिंचाई के लिए इस कड़ाके की धूप में चार घंटे लग रहे हैं. करीब 350 रुपये एक बार की सिंचाई में खर्च हो रहे हैं.

वहीं 1200 रुपये प्रति बीघा धान रोपाई के लिए मजदूरी देना पड़ा था. किसान रामनाथ यादव ने बताया कि बारिश नहीं हुई तो किसान बर्बाद हो जाएंगे. पहले सिंचाई करके धान की रोपाई कराई, अब रोपी गई धान को बचाने के लिए सिंचाई करनी पड़ रही है. धान की लागत नहीं निकल पाएगी.किसान मों आमिर ने बताया कि बारिश नहीं होने से धान की फसल सूख रही है. धान के खेतों में किसानों को खुद से पानी देना पड़ रहा है जिसमें काफी खर्च आ रहा है.

इतनी मेहनत और खर्च के बावजूद अच्छी फसल की उम्मीद नहीं है.किसान कहते हैं कि सरकार 2000 रुपये कुंटल धान लेगी और पानी का सिंचाई करने में ही 7000-8000 रुपये बीघा लग रहा है. नहरों का साधन नहीं है और न ही सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था है. किसान राकेश कुमार कहते हैं कि पूरे इलाके में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है और सूखे से किसान की फसलें जूझ रही हैं।

जिला कृषि अधिकारी ने कहा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जनपद मे धान और केला की फसल बीमा हेतु अधिसूचित है। विगत वर्षों मे 31 जुलाई खरीफ सीजन मे बीमा कराने की अंतिम तिथि रही है परन्तु इस वर्ष कम वर्षा की स्थिति के दृष्टिगत खरीफ हेतु बीमा कराने की अवधि 10 अगस्त तक बढ़ा दी गयी है।

सम्बन्धित के सी सी ऋणी किसान अपने बैंक शाखा से तथा गैर ऋणी किसान सम्बन्धित संस्थायों से सम्पर्क कर अपनी फसलों का बीमा करवा लें। जिससे उत्पादन मे गिरावट या फसल मे अन्य क्षतियों की दशा मे प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के प्रविधानों के अनुसार उन्हें क्षतिपूर्ति प्राप्त हो सके।फिलहाल एक दो दिन में बारिश होने से किसानों को राहत अवश्य मिली है I

रिपोर्ट-अंबेडकर नगर संवाददाता 

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