नी मैं नचना मोहन दे नाल, आज मैनू नच लेंन दे
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वृन्दावन मथुरा ।श्रीराधा नाम प्रचार ट्रस्ट के द्वारा बरसाना के श्रीजी मन्दिर की ऊंची अटारी पर श्रीहरिनाम संकीर्तन महोत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।महोत्सव के अंतर्गत श्रीराधा नाम प्रचार ट्रस्ट की अध्यक्ष एवं प्रख्यात भजन गायिका दीदी आरती शर्मा (किशोरी प्रिया) ने अपनी मधुर वाणी से श्रीराधाकृष्ण की महिमा से सरोबार भजनों का गायन कर सभी श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
दीदी आरती शर्मा (किशोरी प्रिया) ने अपने वाणी में “नी मैं नचना मोहन दे नाल, आज मैनू नच लेंन दे” एवं “मुझे अपना प्यार दे दो, करुणामयी राधे” भजन गाकर सभी भक्तों-श्रद्धालुओं को नृत्य करने पर विवश कर दिया।महोत्सव में पधारे सभी आगंतुक अतिथियों का प्रमुख समाजसेवी रघुवर शर्मा के द्वारा पटुका ओढ़ाकर,टीका लगाकर व माल्यार्पण करके स्वागत किया गया।
इस अवसर पर श्रीराधा नाम प्रचार ट्रस्ट के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने ट्रस्ट के द्वारा समूचे देश भर में संचालित किए जा रहे सेवा प्रकल्पों की जानकारी देते हुए कहा कि धर्म व अध्यात्म का संरक्षण व उन्नयन ही श्रीराधा नाम प्रचार ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य व ध्येय है,जिसे ट्रस्ट की अध्यक्ष व प्रख्यात भजन गायिका दीदी आरती शर्मा (किशोरी प्रिया) पूर्ण समर्पण के साथ साकार करने में जुटी हुई हैं।
हरिनाम संकीर्तन महोत्सव में सोनल त्यागी, प्रदीप कुंद्रा, राकेश कुमार,कमलबिहारी दास,सरला कुमारी,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, ऋषभ कुंद्रा,सुशील कुमार गुप्ता, पारस कुंद्रा,कृष्णलाल गर्ग,विपिन खरबन्दा,आशीष शर्मा, राजकुमार भारद्वाज व विक्रम भारद्वाज आदि के अलावा विभिन्न प्रांतों से आए असंख्य भक्त-श्रद्धालु उपस्थित रहे।महोत्सव के अंतर्गत श्रीराधा रानी के समक्ष 56 भोग भी निवेदित किए गए।महोत्सव का समापन श्रीजी मन्दिर परिसर में भोजन-प्रसादी ग्रहण के साथ हुआ।
श्रीमद्भागवत महापुराण है पंचम वेद
छटीकरा रोड़ स्थित श्रीराधा कृष्ण आश्रम में श्रीरघुवीर चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा बैंगलौर की प्रख्यात समाज सेविका स्व. मंजू सिंघल व स्व. वीरावती सिंघल की पुण्यस्मृति में श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का शुभारम्भ अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ हो गया है। व्यास पीठ से भक्तों-श्रद्धालुओं को प्रथम दिवस की कथा श्रवण कराते हुए प्रख्यात भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।इसमें सभी वेदों व उपनिषदों का सार निहित है।इसीलिए इसे पंचम वेद माना गया है।कलयुग में इस ग्रंथ का श्रवण मानव जीवन के कल्याण के लिए सर्वोत्तम मार्ग है।
भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने सत्संग की महिमा बताते हुए कहा कि जीवन में सत्संग के बिना भगवान की भक्ति प्राप्त कर पाना अत्यधिक कठिन है।संतों की कृपा व भगवत भक्तों की संगति से ही व्यक्ति के हृदय में प्रभु भक्ति का उदय होता है।भक्ति के प्रताप से ही जीव को परमात्मा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
इससे पूर्व प्रेम मन्दिर से कथा स्थल तक गाजे-बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा निकाली गई।जिसमें महिलाएं पीत वस्त्र धारण कर सिर पर मंगल कलश लिए साथ चल रही थीं।इसके उपरांत श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के मुख्य यजमान विनोद सिंघल व रघुवर दयाल सिंघल ने श्रीमद्भागवत व व्यासपीठ का पूजन-अर्चन किया।
इस अवसर पर श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, रासबिहारी मिश्रा, जुगलकिशोर शर्मा, पार्षद रसिक वल्लभ नागार्च,डॉ. राधाकांत शर्मा,प्रमुख समाजसेवी तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, हितवल्लभ नागार्च आदि की उपस्थिति विशेष रही।