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धर्म व अध्यात्म का प्रमुख केंद्र है अखंडानंद आश्रम : महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज

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डॉ. गोपाल चतुर्वेदी

वृन्दावन।मोतीझील स्थित अखंडानंद आश्रम (आनंद वृन्दावन) में पूर्व महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज का षोडशी महोत्सव, श्रृद्धांजलि सभा एवं नव महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज का महंताई समारोह अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।

महोत्सव की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात संत कार्ष्णि स्वामी गुरुशरणानंद महाराज व मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्रदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे।वो ऐसी दिव्य विभूति थे,जिनके दर्शन मात्र से जीव का कल्याण हो जाता था I

अखंडानंद आश्रम के अध्यक्ष महंत स्वामी श्रवणानंद सरस्वती महाराज व संतप्रवर स्वामी महेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज के द्वारा स्थापित आश्रम आनंद वृन्दावन धर्म व अध्यात्म का प्रमुख केंद्र हैं।पूज्य महाराजश्री के दिव्य परमाणु यहां आज भी विद्यमान हैं।जो कि अनेकों व्यक्तियों का कल्याण कर रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती महाराज व पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज अत्यंत सेवाभावी व निष्पृह संत थे।उन जैसी पुण्यात्माओं से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।

गीता आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. अवशेषानंद महाराज व संतप्रवर स्वामी गोविंदानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती महाराज श्रीधाम वृन्दावन के प्राचीन स्वरूप के परिचायक थे।उनका चला जाना श्रीधाम वृन्दावन के सन्त समाज के लिए अपूर्णनीय क्षति है।

महोत्सव में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रविकांत गर्ग, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी,वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण,आचार्य मृदुलकांत शास्त्री, महामंडलेश्वर हरिहरानंद, डॉ. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती महाराज, महामंडलेश्वर राधाप्रसाद देव महाराज, रासाचार्य अवधेश शर्मा, महामंडलेश्वर विजयदास भैयाजी महाराज,

श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, स्वामी प्रणवानंद महाराज, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, स्वामी देवकीनंदन शर्मा (संगीताचार्य),महंत जगन्नाथदास शास्त्री, महंत गोपीकृष्ण महाराज, महंत शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज, स्वामी भानुदेवाचार्य महाराज,डॉ. राधाकांत शर्मा,आचार्य मनोज शुक्ला, महंत मोहिनी शरण महाराज, डॉ. रमेश चंद्राचार्य महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन संत सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।

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