ठहराव का जीवन व्यर्थ है_____
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जीवन में तुफान तो आते रहते है क्योंकि ठहराव का जीवन व्यर्थ है। जिस जीवन मे संघर्ष न हो उसका जीवन बेअर्थ ही है। उसका ही जीवन धन्य होता है जिसके मन मे विजय के गीत है। ज्ञान यही है जीवन का कि डर के आगे जीत है।। कठिन पथ पर हे राही तुमको चलते जाना है । बिना रुके बिना डरे बस आगे से आगे बढ़ते जाना है । हौसलों की ऊंची उड़ान से आसमाँ छू जाना है । डर के आगे जीत है यह दुनिया को दिखलाना है ।
दुनिया भर से हम बातें करते है सम्पर्क रखते है लेकिन जब हमारी ख़ुद की बारी आती हैं तो उस नेटवर्क की सभी लाइनें व्यस्त मिलती हैं । क्योंकि हमने संसार के रोशन – बेरोशन दीपक आदि को तो खूब निहारे पर अपने अंतर्मन की ज्योत को जलाना भुल गए ।हमेशा दुनिया की भीड़ में टहलते रहे पर हमको को ज़रा भी फ़ुरसत नही खुद के साथ घूमने की ।क्योंकि हमने इसकी-उसकी, तेरी-मेरी आदि – आदि करते करते कितना कुछ खो दिया हैं कि अब कुछ पाने के लिए बचा नही हैं ।
माना कि बेशक यह रस्म दुनिया ने हमसे छीनी हैं पर हमएक बार अपने अंतस को संवार कर सही से देख ले । हमने खूब दौड़ भेड़ सी चाल में खुद दौड़कर लगा ली हैं इसमें वापस आ कर स्वयं से मिल तो ले ।जो खोया वो पाकर देखो अपने भीतर अपने से मिलते ही सारी लाइनें नेटवर्क एरिया में आ जाएगी और मज़बूती से जुड़ी रहेंगी ।
क्योंकि हम निश्चय ही नया सही मोड़ वहाँ से ले सकते हैं जहाँ पे हम अभी तक पहुँच गए हैं एवं अंतिम परिणाम सही से परिवर्तितकर सकते हैं ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )